"मां"ने जीवन दिया है,और संविधान ने जीने का हक"

"राष्ट्रपति महोदया"
"मां"ने जीवन दिया है और संविधान ने जीने का हक"   
   भगत सिंह जयंती 27 सितंबर नई संसद पर सत्याग्रह"
मा•प्रधानमंत्री द्वारा मनमाने"असंवैधानिक' तरीके से कर"एवं कीमतों' में वृद्धि ( क्योंकि करारोपण' संसद का विषय है परंतु  इसे सड़क से लगाया"बढ़ाया'गया है) के कारण फैली महंगाई (अपराध))ने जीने का अधिकार हमसे छीन ली है। शिक्षा' चिकित्सा' रेल संचार' न्याय' जैसे जीवन केअधिकारों से हम वंचित हैं क्योंकि यह ऊंची कीमत पर बेची जा रही है।

जीएसटी टोल टैक्स 'की दर"एवं डीजल पेट्रोल सीएनजी घरेलू सिलेंडर के कीमतों में की गई मनमानी"एवं असंवैधानिक वृद्धि आदेश"सरकार वापस ले ले,अन्यथा  इन मनमानी आदेशों को संसद पर सत्याग्रह के दौरान उसी प्रकार तोड़ दूंगा जैसे गांधी"ने अंग्रेजी नमक कानून तोड़ा था।

मुझे 'संविधान चाहिए न अधिक न कम। अडानी 12 लाख करोड़ का पूंजीपति है,अंबानी 15000 करोड़ (लूटी गई )के एंटीलिया मुंबई में रहता है। दूसरी तरफ 80 करोड़ लोग 5 किलो अनाज पर जीवन से जंग लड़ रहे हैं कच्चे घरोँ में गंदे स्थानों पर जी मर रहे है। इसमें समानता कहां है ?

मुझे मेरे हिस्से  का  लोकतंत्र चाहिए। बेरोजगारी गरीबी विषमता महंगाई हिंदू मुस्लिम नफरत के विरुद्ध महामहिम को प्रेषित मेरे दर्जनों पत्र का कोई उत्तर नहीं। मैं कैसे भरोसा करूं कि मैं लोकतंत्र में जीता हूं?

संपूर्णानंद  मल्ल 
पीएचडी इन हिस्ट्री,हिस्ट्री डिपार्टमेंट,फैकल्टी ऑफ़ सोशल साइंसेज, दिल्ली यूनिवर्सिटी।
किसान पुत्र किसान हूं,।कुदाल चला कर अनाज पैदा करता हूं। जीवन बचाने के लिए 50 यूनिट स्वैच्छिक रक्त सरकार' एवं"गोरखब्लड बैंक' दिया हूं।10 हज़ार पेड़ो का 'योगी गोरख   उद्यान"लगाया हूं। दो हजार पुस्तकों की निजी 'शांतिवन पुस्तकालय' में 'हिंदू मुस्लिम यूनिटी' गरीबी उन्मूलन'पर शोधरत हूं। बिना अनुदान, स्कॉलरशिप.      
9415418263,9415282102
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