मुख्यमंत्री महोदय,विद्यालय बंद करने या बच्चों को शिफ्ट करने का आदेश वापस लीजिए: पूर्वांचल गांधी

शांतिवन शोध पुस्तकालय  27 जून 2025' 
 'माननीय मुख्यमंत्री जी'
    उत्तर प्रदेश                                 ज्ञापन द्वारा
 'श्रीमान जिलाधिकारी'
          'मुझे संविधान चाहिए न  कम न अधिक'
 'सम्मान देते हुए'
विषय:- "बच्चों की न्यूनतम संख्या पूरी न होने के कारण विद्यालय बंद करने या बच्चों को शिफ्ट करने का आदेश वापस लीजिए यदि आप ऐसा करेंगे तो शिक्षा के मौलिक अधिकार अनुच्छेद 21 A' का 'वायलेशन'होगा"

क्योंकि यदि ऐसा हुआ तो 'RTE' 'शिक्षा के मौलिक अधिकार 'की हत्या होगी' 'शिक्षा का मौलिक अधिकार 21 A' में शामिल है। संविधान के तहत प्रत्येक बच्चे जिनकी उम्र 6 से 14 वर्ष   है,निशुल्क'एवं 'अनिवार्य शिक्षा'देना राज्य का आवश्यक कर्तव्य है।"शिक्षा दरवाजे तक' जब तक एक बच्चा भी उस गांव के विद्यालय में है तब तक विद्यालय कैसे बंद कर सकते हैं? क्यों बंद करेंगे? ऐसा किये तो प्राइमरी शिक्षा मर जाएगी। 

2009 में आरटीई एक्ट पास हुआ है आखिर  ऐसा क्या हुआ कि सरकारी परिषदीय विद्यालयों में बच्चे कम होते गए विकास के दावे किए गए शिक्षकों की नियुक्तियां की गई प्रत्येक गांव में स्कूल निर्मित हुए बिल्डिंग बने।जब बच्चे कम होने थे तो इस सब बाह्य आडंबर दिखावे पर पैसा बर्बाद करने की क्या जरूरत थी? यदि आपने ऐसा किया तो एक और भयंकर'एवं विनाशकारी'परिणाम होगा लाखों :शिक्षामित्र' हजारों 'अनुदेशक’बिना मारे मर जाएंगे अभी तो वे स्थाई होने एवं 'वेतन /मानदेय वृद्धि' की लड़ाई लड़ रहे हैं समय के साथ पूरी तरह बेरोजगार एवं कंगाल हो जाएंगे और इसका असर उनके परिवार पर होगा 
प्राइमरी से उच्च शिक्षा कैसे बचाएं?
@ निजी विद्यालयों का रातों-रात 'सार्वजनिकरण'कर दीजिए या उन्हें बंद कर दीजिये।

@ गरीब अमीर सबके बच्चे'एक विद्यालय'में एक साथ' एक पाठ्य पुस्तक पढ़े'।2015 का मा.HC इलाहाबाद का 'निर्णय/ आदेश' लागू करें जिसमें सरकारी कर्मचारियों के बच्चे परिषदीय विद्यालयों में पढ़े' 
@ किसी भी तरह की कोचिंग को 'अपराध'घोषित करते हुए तत्काल बंद करें क्योंकि इससे पैसे वाले धनी लोगों के बच्चे कोचिंग लेकर प्रतियोगी परीक्षाएं अपेक्षाकृत अधिक संख्या में उत्तीर्ण कर रहे हैं जबकि निर्धन गरीब बच्चे इससे वंचित है इस प्रकार यह 'समानता के मौलिक अधिकार'की हत्या कर रहा है।

प्राइवेट विद्यालयों को सरकारी विद्यालय में बदलना मुझे लगता है एक कठिन टास्क है क्योंकि हमारी धमनियों में प्राइवेट का खून दौड़ रहा है फिर भी यदि गांधी नेहरू अंबेडकर सुभाष भगत सिंह होते तो यह काम ऐलान कर संपादित कर देते 
मैं आपसे इतनी ही प्रार्थना करता हूं अपने निर्णय को वापस लीजिए क्योंकि यह "प्राथमिक शिक्षा की आत्मा को 'बेध''देगा
प्रति:- महामहिम राज्यपाल'मा मुख्य न्यायाधीश इलाहाबाद हाई कोर्ट मा मुख्य न्यायाधीश लखनऊ बेंच इलाहाबाद हाई कोर्ट मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश प्रमुख सचिव शिक्षा' निदेशक बेसिक शिक्षा' जिलों के श्रीमान जिलाधिकारी गण

डॉ संपूर्णानंद मल्ल             
    पूर्वांचल गांधी
पीएचडी इन आर्कियोलॉजी एंड हिस्ट्री' हिस्ट्री डिपार्टमेंट' फैकेल्टी आप सोशल साइंसेज' देलही यूनिवर्सिटी
सत्यपथ: थाना शाहपुर गोरखपुर
9415418263 snm.190907@yahoo. co. in

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