समीक्षा चुनाव 2024

समीक्षा
मोदी फिर पीएम नही बनेंगे: राहुल गांधी 
       इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान के मार्स प्रेक्षा गृह में 10 मई को आयोजित राष्ट्रीय संविधान सम्मेलन में राहुल गांधी ने बोलते हुए दावे के साथ कहा कि 2024 के चुनाव में बीजेपी 180 सीट से अधिक के आंकड़े के ऊपर किसी भी कीमत पर उछाल नही मार सकती है। मोदी जी तीसरी बार पीएम तो नही बन सकते; यह बात मैं लिख कर दे सकता हूं। उन्होंने ने कहा कि मोदी जी पीएम नही इस देश के राजा है। एक ऐसे राजा जिसे दो उद्योगपतियों ने मस्टररोल पर राजा रखा हुआ है। वह देश में इन दोनों उद्योगपतियों के अलावा किसी की सुनते भी नही। इण्डिया का इतिहास रहा है यहां कई अनपढ़ राजा हुए हैं फिर भी वह सफ़ल राजाओं की श्रेणी में गिने जाते हैं। मोदी जी भी अल्प शिक्षा के बावजूद सफ़ल राजा हो सकते थे यदि वह जनता की बात को सुनते।
          आगे उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को सत्ता पाने की बीमारी है। वह रात दिन इसी चिन्ता में डूबे रहते हैं कि उन्हें सत्ता कैसे हासिल हो। जिन्हें सत्ता का अपहरण करने की बीमारी है वह भाई से भाई को लड़वाने का हर उपक्रम करते रहते हैं। अफ़सोस 2024 के चुनाव में उनका यह हथियार कुंद पड़ गया है। काम ही नही कर रहा है। जिस तरह गिद्ध को मांस का लोथड़ा न मिलने पर उसकी दावत अधूरी रह जाती है, उसी तरह कुछ लोग तमाम साजिशों के बावजूद जब देश में आपसी सौहार्द नही बिगाड़ पाते हैं तब उनकी हैवाने सियासत फीकी पड़ जाती है। 2024 में हैवान ए सियासत का रंग जर्द पड़ गया है। भाई को भाई से लड़ाने की कोशिश जोरो पर है परन्तु बेरोजगारी और गब्बर सिंह कर की मार से देश के 90% लोग इतने कमज़ोर हो गए हैं कि आपस में लड़ना भूल कर अब वह मोहब्बत की तलाश में हैं।
          हमें सत्ता पाने में कोई दिलचस्पी नही है। हमारा जन्म सत्ता में हुआ है। लोगों को लग सकता है कि जब हमें सत्ता पाने की ललक नही तब इतनी कठिन मेहनत  का सबब क्या है? मैं मानता हूं कि कांग्रेस से कुछ गलतियां हुईं हैं। पिछड़ों, दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों को देश की समस्त संपत्ति में उनका आनुपातिक प्रतिनिधित्व दिलाने की नैतिक जिम्मेदारी कांग्रेस की थी, मैं यह भी मानता हूं यह काम अभी अधूरा है। इसी को पूरा करने की जिम्मेदारी हम पर है। कांग्रेस की इसी गलती को सुधारने की मुहिम में मैं लगा हूं। प्रतिभूति दे सकता हूं कि शीघ्र ही इस गलती को मैं सुधार पाऊंगा।
           संविधान की एक छोटी पुस्तिका हाथ में लेकर उन्होंने कहा कि इस दस्तावेज़ ने सामाजिक , आर्थिक, राजनैतिक न्याय के साथ, न्यायपालिका, मीडिया, उद्योग, ईडी, सीबीआई, सेना व देश में उपलब्ध समस्त संपत्ति पर देश के सभी नागरिकों का समान अधिकार है का लिखित दस्तावेज़ तैयार किया है। जाति, धर्म, संप्रदाय, क्षेत्र, लिंग, पैदा होने के स्थान के नाम पर विभेद अस्वीकार है। जब हमारे देश में जातियां अपने अस्तित्व में ख़ूब फल फूल रही हैं तब जातीय जनगणना कराने में संकोच कैसा, क्यों हो रही है हिला हवाली? देश को ज्ञात हो जाने दें किसकी कितनी आबादी है। जब आबादी का सटीक गणना का संसाधन हमारे पास उपलब्ध है तब हवा में तीर चलाने की जरूरत क्यों? हमारी प्राथमिकता है देश में जातीय जनगणना कराना और देश में उपलब्ध संपदा को आनुपातिक रूप से वितरण कराना।
            राहुल गांधी का कल का हाव भाव उन्हें राजनेता से मीलों दूर ले गया। लोग विश्लेषण कर सकते हैं कि राहुल गांधी एक मंझे राजनेता की तरह अपने संबोधन में जनमानस की नब्ज़ पकड़ रहे थे। हमारा मत भिन्न है; कल के सम्बोधन में राहुल गांधी से राजनेता विलुप्त था। वह एक ऐसे दार्शनिक की तरह अपने उद्गार व्यक्त कर रहे थे जिसने दुनियां को बदलने के लिए सिर्फ मंत्रमुग्ध करने वाले शब्दों का ही प्रयोग नही किया अपितु गरीब के जीवन से गरीबी मुक्त करने के लिए गरीबी के जीवन को स्वतः जीने का निर्णय लिया है। राहुल गांधी में दिखने वाला आत्मविश्वास इस बात को तसदीक कर रहा था कि झोलाछाप के बोरिया बिस्तर बांधने का वक्त आ गया है। श्रोताओं की वीथिका से पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैं किसी से भी कहीं आमने सामने चर्चा करने के लिए सर्वथा उपलब्ध हूं लेकिन मेरा अनुभव कहता है मोदी जी में ऐसा करने का साहस नही है।
          ओपीएस को लेकर दागे गए सवाल पर यदि राहुल गांधी राजनेता होते तो वह इस सवाल को डक करने का प्रयास करते लेकिन उन्होंने गेंद को हुक करते हुए बाउंड्री के बाहर फेंक दिया। उन्होंने कहा कि यह प्रकरण मेरे घोषणा पत्र में नही है लेकिन गंभीरता से विचार किया जा रहा है कि इसका बेहतर समाधान क्या हो सकता है। उनके केवल एक हुक शॉट ने दिखा दिया कि बंदे में दम है। वह हर गेंद को सीमा रेखा से बाहर फेंकने में सक्षम है चाहे वह गूगली हो या फिर शॉर्ट पिच बाउंसर। यह बयान स्पष्ट तौर पर गवाही देता है कि कांग्रेस के 210 के स्कोर को राहुल गांधी डिफेंड करने में सक्षम है। मोदी की टीम हर कोशिश के बाद भी 180 से ऊपर स्कोर कर पाने में कामयाब नही होगी। 2024 के चुनाव में टारगेट मोदी नही राहुल गांधी सेट करेंगे। पीछा करते हुए मोदी टीम स्कोर तक पहुंचने से काफ़ी पहले ही दम तोड़ देगी।
          राहुल ने एक बात कही, जो गंभीरता से विचार करने वाली है। मोदी जी हमारे स्कोर को उसी दशा में धवस्त कर सकते जब तीनों अंपायर्स, बॉलर, फील्डर्स, ब्रॉडकास्टिंग टीम सब के सब फिक्स्ड हो जाएं। 1971 चुनाव के दरमियान की एक घटना का जिक्र प्रासंगिक हैं। रोमेश थापर जो कि इंदिरा जी के ख़ास सलाहकार थे, की पत्नी राज थापर एक दिन टैक्सी में यात्रा कर रही थी,आम जन मानस में चुनाव का प्रभाव क्या रहेगा जानने की उत्सुकता से उन्होंने ड्राईवर से पूछा: चुनाव में तुम लोग किसको वोट दोगे? ड्राईवर ने तपाक से जवाब दिया, इन्दिरा गांधी को। उन्होंने फिर पूछा मतलब तुम लोग कांग्रेस को वोट दोगे? उसने जवाब दिया: नही, हम लोग कांग्रेस को नही, इन्दिरा गांधी को वोट देंगे। राज ने फिर पूछा क्यों? उसने जवाब दिया इन्दिरा जी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया है। अब राज थापर से रहा नही गया, अधीर होते हुए उन्होंने पूछा लेकिन बैंकों के राष्ट्रीयकरण से तुम्हें क्या लाभ होगा, तुम्हारे पास पैसे तो हैं नही कि तुम बैंकों में रख पाओगे? ड्राईवर ने जवाब दिया मेम साहब; बैंकों में रखने के लिए मेरे पास पैसे नही है, सच है कि मेरा कोई भला नही होगा, लेकिन यह साहस इन्दिरा जी के अलावा किसी और भी नेता में नही था कि वह बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बारे में सोच भी सकते!
         वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियाँ ठीक उसी तरह हैं जिस तरह 1971 में थी। देश की सभी संपदाओं का आनुपातिक प्रतिनिधित्व के अनुसार वितरण की आवाज़ उठाने का साहस राहुल गांधी से इतर किसी राजनेता में नही है। कांग्रेस के जिन नेताओं को बीजेपी तोड़कर अपने पाले में कर रही है वह अपनी सम्पत्ति बढ़ाने के बरक्स देनदारियां इकट्ठा कर रही है। वर्तमान राजनीतिक परिवेश में लोगों का विश्वास कांग्रेस में नही अपितु राहुल गांधी में है।
           कुछ त्रुटियों को नजरंदाज कर दिया जाय तो कार्यक्रम पूर्णतः सफ़ल था। आयोजकों को सुधार का प्रयास करना चाहिए। राहुल गांधी अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के व्यक्ति हैं, उनका बड़प्पन है कि वह सभी को साथ लेकर चलना चाहते हैं, किसी प्रोटकॉल के टूटने पर उन्हें फ़र्क नही पड़ता। बावजूद हमें उनकी गरिमा का हमेशा ध्यान रखना चाहिए।
*गौतम राणे सागर*
  राष्ट्रीय संयोजक,
संविधान संरक्षण मंच।

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