धर्म परिवर्तन हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार

 


गोबरैला मल को ही पकवान समझता है,धर्म परिवर्तन हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है इसे अवैध कहने के पीछे की साज़िश क्या है? क्या वह लोग जो घी जलाने, दूध बहाने,मूत्र पीने व गोबर खाने के समर्थक हैं; नही चाहते हैं कि समाज का कमज़ोर तबका दूध और घृत का सेवन कर शारीरिक और मानसिक तौर पर मज़बूत बने? 

           इन प्रश्नों का उत्तर अंध-श्रद्धा व अंध-विश्वास के आस्था रूपी अंधेरी काल कोठरी में तलाशने से निराशा से इतर कुछ भी हाँथ नही लगेगा सिवाय पाखंडों की प्रस्तुति के। हाँ: यदि हम चार्वाक दर्शन के अनुसार आचरण करें," तब वही श्रेयस्कर मार्ग है;

   यावज्जीवेत्सुखं जीवेत् ॠण कृत्वा घृतं पीवेत्।

    भस्मीभूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुतः।

    त्र्यो वेदस्य कर्तारौ भण्डधूर्तनिशाचराः।

 मनुष्य जब तक जीवित रहे,तब तक सुखपूर्वक जिये।ॠण करके भी घी पीये अर्थात सुख भोग के लिए उन्हें जो भी उपाय करना पड़े उन्हें करे! साधन जुटाने में न हिचके। परलोक, पुनर्जन्म और आत्मा-परमात्मा जैसी बातों की परवाह न करे। भला जो शरीर मृत्यु पश्चात भस्मीभूत हो जाए यानि जो देह दाह-संस्कार में राख हो चुका है उसके पुनर्जन्म का सवाल ही कहाँ उठता है। जो भी है इस शरीर की सलामती तक ही है और उसके बाद कुछ भी नही बचता!इस तथ्य को समझकर सुख भोग करें। कुछ मसखरे, निशाचरों ने लोगों को मूर्ख बनाये रखने के लिये इसे कर्म-दुष्कर्म,पाप-पुण्य, भाग्य-दुर्भाग्य,स्वर्ग-नर्क और पुर्वजन्म-पुनर्जन्म के कपोल कल्पित भ्रम की चाशनी में लपेटकर परोसा है और इस दकियानूसी सोच को हमेशा फैलाये रखना चाहते हैं। इन दस शब्दों के मकड़जाल में सीधे लोगों को फँसाये रखने के लिये सर्वप्रथम तीन मायाजाल शब्दों का लेखन किया। आत्मा-परमात्मा और इसे एक दूसरे को बेतार से जोड़ने के लिए महात्मा शब्द को लिपिबद्ध किया।

    आप सोच रहे होंगे कि मैं विषय के साथ न्याय नही कर रहा हूँ;संभवतः आप अपने को उचित ही मानते होंगे! अवैध धर्म परिवर्तन कानून बनाने के पीछे यदि फरेबियों की मंशा वाकई धर्म को बचाने की होती तब यह सर्वप्रथम यह देखते कि सह-धर्मियों के साथ अन्याय कौन कर रहा है; मुस्लिम या व जोंक? जो कहने के लिए तो सह-धर्मी है परन्तु रक्त चूसने में कोई कसर नही छोड़ रहे है। दरअसल अवैध धर्म परिवर्तन के नाम पर मुस्लिमों को सिर्फ आवरण की तरह प्रयोग किया गया है असल मकसद sc/st, obc के अधिकारों को एक-एक कर छीनने की एक धूर्त साज़िश है। कोई भी गोबरैला नही चाहता कि जिन लोगों को वह मूत्र पीने और गोबर खाने की सीख दे रहा है वह दूध पीने और घी खाने लग जाएँ! इन धूर्तों को यह बेहतर ज्ञात है कि दूध और घृत का सेवन इन्हें मानसिक व शारीरिक रूप से हृष्ट-पुष्ट बना सकता है। 

   इन्हें ज्ञात है कि जब तक sc/st and obc के पास नौकरी,व्यवसाय और धन रहेगा तब तक इन्हें दूध और घृत के सेवन से रोक पाना संभव नही है। फलतः इन्हें लूटने के लिए मुस्लिमों को टारगेट कर इन तथाकथित हिन्दुओं को विपन्नता की दल-दल में ढ़केलने की कोशिशें हो रही है। आप स्वतः सोच सकते हैं जब तक sc/st and obc अधिकारों से वंचित था हिन्दू धर्म पर कभी भी ख़तरे के बादल नही मंडराये:जैसे ही यह शासन और सत्ता की तरफ बढ़ना शुरू किया नही कि रोज़ हिन्दू धर्म खतरे में पड़ता जा रहा है।  धर्म परिवर्तन कर बौद्ध धर्म स्वीकार करने वाले लोगों यह हथकंडा आपको धर्म परिवर्तन करने से रोकने की साज़िश है।

गौतम राणे सागर,

राष्ट्रीय संयोजक,

संविधान संरक्षण मंच।

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