बाराबंकी। अपनी बोली भाषा और संस्कृति की रक्षा करनी चाहिए। अवधी को बोलचाल की भाषा के दायरे से निकाल कर जन-साहित्य की भाषा और बाजार तथा रोजगार की भाषा बनानी होगी। संस्कृति की पोषक महिलाएं होती हैं इसलिए महिलाओं को आगे आना होगा।
उक्त विचार पूर्णेन्दु सिंह अपर पुलिस अधीक्षक बाराबंकी ने राजकीय इण्टर कालेज के कम्प्यूटर हाल में अवधी अध्ययन केन्द्र उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित पाँच दिवसीय अवधी कहानी लेखन एवं अनुवाद प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए व्यक्त किए।
श्री सिंह ने कहा कि जिस भाषा में रामचरित मानस जैसा ग्रंथ हो उस भाषा पर संकट कभी आ ही नहीं सकता।
राधेश्याम प्रिंसिपल राजकीय इण्टर कालेज बाराबंकी की अध्यक्षता व संयोजक प्रदीप सारंग के संचालन में सम्पन्न कार्यशाला के शुभारंभ समारोह में डॉ राम बहादुर मिश्रा अध्यक्ष अवध भारती संस्थान, डॉ विनय दास अध्यक्ष साहित्यकार समिति, ने भी विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर पं0 राम किशोर तिवारी, डॉ अम्बरीष अम्बर, ओपी वर्मा ओम, विष्णु कुमार शर्मा, प्रदीप महाजन, इकबाल राही, मूसा खाँ अशान्त, गुलज़ार बानो, पंकज कँवल, सदानन्द वर्मा, अब्दुल खालिक, रमेश रावत मौजूद रहे।
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