राम राज मायने लोकतन्त्र की हत्या

  राम काल्पनिक हैं या वास्तविक चर्चा का केन्द्र बिन्दु यहीं नही टिकता। लोकतन्त्र विमर्श को मीलों दूर ले जाता है। राम आदर्श हैं, उनको अनुसरण किया जा सकता है या नही? यदि किया भी जाय तब उनके कौन से गुण हैं जिन्हें आत्मसात किया जा सकता है? छिप कर बालि की हत्या का षड़यंत्र या फ़िर हत्या उपरान्त मां समान भाभी को सुग्रीव की पत्नि रूप में सौंप देना? या बाल्यवस्था के चरित्र प्रदर्शित करते सोने के हिरण के पीछे आखेट की अभिलाषा से भागने का पथगमन करें?

    कल्पना ही सही परन्तु जिस वक्त राम जन्म के अतीत को अस्तित्व रूप में स्वीकार किया गया क्या उस वक्त लोकतन्त्र था यदि नही तब अद्यतन में राम राज स्थापना की ज़िद के पीछे साज़िश क्या है? कौन लोग हैं वह; जिन्हें महिलाओं को समान अधिकार देना नागवार गुजरता है? जो महिलाओं के साथ खिलौनों की तरह खेलने की बिना अवरोध के आज़ादी चाहते हैं?

         प्रत्येक क्षेत्र में  महिलाओं की बढ़ती उपस्थिति क्या पितृसत्तावाद को चुनौती प्रकट कर रही है, फलतः पुरूष अहंकार के पुरोधाओं को सम्पूर्ण नारी समाज से इतनी घिन आने लगी है कि वह लोकतंत्र की क्रूरतम हत्या को उद्यत हो गए हैं? लोकतन्त्र की हत्या की साजिश सिर्फ़ इसलिए कि पुनः नारी समाज को उपभोग की वस्तु के रूप में हासिल कर लिया जाए। ताकि सदियों, सहस्त्राब्दियों तक उन्हें अधिकारों से वंचित रखने का अवसर उपलब्ध होता रहे! राम का जन्म एक रानी के गर्भ से हुआ था लोकतंत्र की कोख से नही। वह राजतंत्र के उत्तराधिकारी थे। लोकतन्त्र के युग में राज तन्त्र स्थापित करने की सनक के पार्श्व में इस पैशाचिक कृत्य का मास्टरमाइंड आख़िर है कौन?

         मोदी जो प्रत्यक्ष रूप से राम के चरित्र से अत्यधिक प्रभावित और भक्ति में सराबोर प्रतीत होते हैं वास्तविक विश्लेषण से उनके साजिश के मटके पर आस्था की चढ़ी कलई धुल जाती है। असलियत प्रत्यक्ष खड़ा होकर बयान करती है कि यह तो राम के घोर विरोधी हैं। अन्यथा कोई कारण नही बनता कि चाय बेचने वाला देश की सत्ता के शिखर पर विराजमान हो। क्या राम आज के युग में होते तो अपने को पिछड़ा कहने वाले मोदी को सत्तासीन होने पर दण्डित न करते? जब केवल शिक्षा ग्रहण करने के प्रयास पर राम शंबूक का गला रेत कर वध कर देते हैं तब उनकी पैतृक सत्ता पर काबिज़ मोदी को बर्दाश्त करते हुए अभयदान कैसे दे सकते हैं? दोनों चरित्रों में से कोई एक तो काल्पनिक है। कल्पना की श्रद्धा में ख़ुद को झोकना कितना उचित है? मोदी का राम नाम जाप सत्ता में बने रहने के लिए एक छलावा मात्र है। वह जानते हैं कि काल्पनिक राम को इतना पूजनीय बना दिया गया है, साधारण व्यक्ति के लिए राम के नाम पर ऊंगली उठाने की हिम्मत नही पड़ेगी।
   इन साजिशों के आलोक में एक बात स्पष्ट हो जाती है कि कहीं ऐसा तो नही कि मायावी रूप धारण कर राक्षसों ने सत्ता हथिया लिया है? देवी पुराण के छठे स्कंध के मुताबिक़ प्राचीन काल के राक्षस अर्वाचीन भारत में ख़ुद को प्रतिष्ठित स्थानों पर प्रक्षेपित कर चुके हैं। वेद, पुराण शास्त्रों की संस्कृति से आच्छादित सनातन धर्म के प्रमुख वेद देवी पुराण में लिखी बात को झुंठला पाने का साहस हम कैसे कर सकते हैं? इनकी पहचान करने का एक ही तरीक़ा है। यह जहां भी रहते हैं वहां से शांति, सुरक्षा, सम्पदा, शिक्षा, रोजगार तो गायब ही होता है साथ में महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं अप्रत्याशित रूप से बढ़ जाती हैं। राक्षसों को संविधान की उपस्थिति में अपने एजेंडे को लागू करने में ठीक उसी तरह अड़चन आती है जैसे प्राचीन काल में यज्ञों के आयोजन से होती थी। स्मरण शक्ति पर ज़ोर डालने पर स्मृति पटल वह भयानक दृष्टि प्रत्यक्ष उभर आती है किस तरह राक्षस यज्ञों को नष्ट करने पर प्रसन्न होते थे। प्राचीन का यज्ञ अर्वाचीन का संविधान दोनो राक्षसों को खिन्न करता है। फलस्वरूप इनकी कोशिश होती है कि शीघ्रातिशीघ्र यह संविधान को बदल पाएं। संविधान की उपस्थिति में भी यह अपना काम कर लेते हैं लेकिन दुनियां की नज़र में इनकी क्रूरता प्रतिबिम्बित होने लगती है। सभ्य दुनियां के लोग इसकी मज्ह़कः(निंदा)भी करते हैं। निन्दा की दख़ल में विश्वगुरू होने के इनके हवाई दावे को गहरा धक्का लगता है। जब यह संविधान बदलकर अपने अनुरूप कर लेंगे तब तो इनके न्यायप्रिय होने पर कोई अंगुली नही उठा पायेगा।
         क्या राम राज में महिलाओं को समान अधिकार था, उन्हें शिक्षा ग्रहण करने की छूट थी? पुरूषों के समानांतर प्रतियोगिता में भाग लेने की आज़ादी थी? महिलाएं सुरक्षित थी? उनकी सुरक्षा के लिए कानून थे? जिन्हें सूत या शूद्र की उपमा दी गई है क्या उनके लिए गुरुकुल में अध्ययन करने की अनुमति थी? घृत युक्त भोजन करने, अच्छे कपड़े पहनने, धन इकट्ठा करने की छूट थी? शिक्षा ग्रहण करने के प्रयास में शंबूक की हत्या के दोषी राम को विशाल शूद्र समाज भद्र पुरुष और आदरणीय स्वीकारने से परहेज़ करेगा पूज्यनीय और मर्यादा पुरुषोत्तम तो स्वेच्छा से स्वीकार कर ही नही सकता! पूर्वजों के हत्यारे को कौन आदर देना चाहेगा? हां यदि राक्षसों की कटार उनके गर्दन पर लटकी हो तो जान की रक्षा की अपेक्षा में राम के समक्ष श्रद्धा सुमन अर्पित करने को तैयार हो जाए।
         पति द्वारा चरित्रहीनता का लांछन लगाने पर अपना पक्ष रखने का अधिकार क्या सीता को था? महिलाओं को अपना पक्ष रखने की संविधान में जो स्वतंत्रता मिली है, वह कुछ लोगों के सीने में शूल की तरह चुभ रहा है क्या अब? लिंग के आधार पर विभेद करने वाली ताकतों को यह बात अच्छी तरह से ज्ञात है कि संविधान ने महिलाओं को उनके बराबर ला खड़ा कर दिया है, अब उन्हें यूं ही कोई बेबुनियाद आरोप लगाकर जंगल नही छोड़ आयेगा। नारी चरित्रहीनता के आरोप का प्रतिकार कर कहेंगी हे स्वामी! जितने दिन मैं आपसे दूर रही हूं आप भी तो हमसे उतने दिन अलग रहे हैं। सतीत्व परीक्षण के सजाए गए अग्नि कुण्ड में हम अकेले क्यों अग्नि परीक्षा दें आप भी साथ अग्नि की ताप सहने में शामिल हों। दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा। जो चरित्रवान होगा अग्नि की ज्वाला का मुकाबला करते हुए स्वर्णकांति की तरह दमकता निकलेगा। स्वामी! आपके सीते का चरित्रवान होना आपकी मर्यादा को चार चांद लगायेगा लेकिन आपके चरित्रवान होने पर आपकी सीता भी चहक उठेगी नाथ! क्या आप अपनी सीते को यह सुख देने से वंचित करना चाहेंगे आर्य?
       संविधान ने तर्क शक्ति की स्वतंत्रता दी गई है। समानता का अधिकार दिया है लांक्षित महिला अब सवाल करेगी पतिदेव क्या आपको ज्ञान है कि एक महिला के सतीत्व हरण के लिए एक पुरूष की आवश्यकता होती है, यदि हां तो हम पर ही लांछन के रामबाण क्यों छोड़े जा रहे हैं आप भी तो पुरूष हैं? प्राण! आपको मर्यादा पुरुषोत्तम होने का गौरव हासिल है। मेरे साथ अग्नि परीक्षा में शामिल होकर अपनी मर्यादा को अत्यधिक महिमामंडित होने का अवसर प्रदान करें नाथ! पति परमेश्वर! रामबाण तो औषधि के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसके प्रतिकूल यह बाण हमें ज़ख्म देने के लिए छोड़ने का सबब क्या है?
      अब द्यूत क्रीड़ा के पासे के दांव पर लगाने पर द्रौपदी के साथ अन्य महिलाएं सवाल करेंगी कि वह कोई वस्तु हैं क्या? जिसे पति जहां चाहे वहां नीलाम करता रहे। महिलाएं देश की विकास की मुख्य धारा से जुड़ेंगी यह है गारंटी भारतीय संविधान की। चाहे जितने वैशाखनन्दन अवतार ले लें महिलाओं को अब अधिकारों से वंचित कर पाना उनके लिए संभव नही होगा।
          राम के चरित्र और मोदी की गारंटी दोनों मृग मरीचिका है। दोनो हवा में उड़ान भरती नज़र आती है। दोनो ने महिलाओं और शूद्रों का सत्यानाश किया है। मोदी की गारंटी का अनुपम उदाहरण यह है; दावा था भारत को दुनियां की तीसरी अर्थ व्यवस्था बनाने का। बन क्या रहा है दुनिया का सबसे बड़ा कर्जदार। 373 लाख करोड़ की जीडीपी का देश भारत 225लाख करोड़ के कर्ज़ में गले तक डूबा है। इस देश की खुशहाली, समृद्धि संविधान के ज़रिए होगी। देश की एकता, अखंडता और भ्रातृत्व भाव का राम नाम सत्य करने की इज़ाजत नही दी जा सकती!
*गौतम राणे सागर*
   राष्ट्रीय संयोजक,
संविधान संरक्षण मंच।

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