"महामहिम राज्यपाल कुलाधिपति"
उत्तर प्रदेश
'मुझे सत्य' चाहिए जो न्याय' से अभिन्न है'
मेरे सत्य के सामने असत्य कितनी देर टिकता है यह देखना है?
'15 जुलाई से दीदउ विवि गेट पर अनशन'
"महोदया"परम सम्मान देते हुए"
यदि PG प्रथम श्रेणी' यूजीसी नेट 'आयोग्य तो विवि के तीन सौ आचार्य में योग्य कौन? मुझसे 'उत्तम शैक्षिक अभिलेख'एवं 'रिसर्च एबिलिटी' AHAC' एवं हिस्ट्री डिपार्टमेंट'के किस आचार्य के पास?किसी के पास नहीं. तो मुझे विवि से निकाला क्यों? यूजीसी के पत्र दिनांक 28.8.2008 का 17 वर्षों से संज्ञान क्यों नहीं?
उसे लागू कब किया जाएगा? जब परिवार के साथ मेरा पतन हो जाएगा तब? सितंबर 24 से दो दर्जन पत्र/ज्ञापन प्रेषित कर चुका हूं कुलपति एवं महामहिम की ओर से कोई जवाब नहीं आया ऐसा लगता है पूरा तंत्र अंधा'गूंगा' बहरा' हो जब महामहिम का इफिगी बर्न' करना चाहता हूं तो पुलिस हाउस अरेस्ट कर लेती है महामहिम के 'शान सम्मान' के लिए मेरी 'जीविका कुचल'दी जाती है
'अंधेर नगरी'अंधा राजा टका सेर भाजी टका सेर खाजा'
भारतेंदु हरिश्चंद्र नाटक 1882
दीदद विवि गोरखपुर 30 अगस्त 2003 से वरिष्ठतानुसार मुझे प्रोफेसर पद पर नियुक्त करे @ प्रथम श्रेणी PG'यूजीसी नेट'को अयोग्य ठहराने वालों के विरुद्ध'अपराध का अभियोग' पंजीकृत किया जाए @ यदि यह दोनों नहीं कर सकते तो मुझे कैद खाने में डाल दें क्योंकि मैं ऐसी'क्रिमिनलाइज्ड व्यवस्था' नहीं चलने दूंगा जिसमें PG प्रथम श्रेणी 'यूजीसी नेट'पीएच.डी देलही यूनिवर्सिटी अयोग्य'घोषित कर विवि से निकाल दिया जाए और'प्लेगिरिज्म'की पीएचडी जिसमें रिसर्च मेथाडोलॉजी शून्य'है को आचार्य बनाया जाए
अभी भी वक्त है मेरा जीवन' एवं सम्मान'मुझे वापस कर दिया जाए.
डॉ संपूर्णानंद मल्ल
पूर्वांचल गांधी
सत्यपथ थाना शाहपुर गोरखपुर
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