भारत ने यूएन में कहा- यूक्रेन में निर्दोषों की मौत अस्वीकार्य, मुश्किल में ग्लोबल साउथ

न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र में भारत ने यूक्रेन संघर्ष को लेकर बड़ा बयान दिया है। भारत ने कहा है कि यूक्रेन में निर्दोषों की मौत पूरी तरह अस्वीकार्य है और इसका असर विकासशील देशों व ग्लोबल साउथ पर पड़ रहा है। भारत ने कहा कि हमने हमेशा यह पक्ष रखा है कि यूक्रेन में चल रहे संघर्ष को समाप्त करने का एकमात्र रास्ता संवाद और कूटनीति है। भले ही यह मार्ग जितना भी कठिन क्यों न दिखे। इस दिशा में सभी पक्षों की पूर्ण भागीदारी और प्रतिबद्धता स्थायी शांति के लिए अत्यंत आवश्यक है। 

यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पी. हरीश ने 4 सितंबर को ‘यूक्रेन के अस्थायी रूप से कब्जे वाले क्षेत्रों की स्थिति’ पर यूएन महासभा की बहस में अपना वक्तव्य देते हुए भारत का रुख स्पष्ट किया। उन्होंने कहा भारत यूक्रेन की स्थिति को लेकर लगातार चिंतित है। हम मानते हैं कि निर्दोष लोगों की जान जाना अस्वीकार्य है और किसी भी प्रकार का समाधान युद्ध के मैदान से नहीं निकल सकता। इसलिए यूक्रेन संघर्ष का अंत सभी के हित में है।

भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मीटिंग पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। भारतीय प्रतिनिधि ने कहा हम इस दिशा में हाल की सकारात्मक प्रगति का स्वागत करते हैं। हमने ट्रंप और पुतिन के बीच अलास्का में हुए शिखर सम्मेलन का समर्थन किया। हम उस सम्मेलन में हुई प्रगति की सराहना करते हैं। साथ ही, वॉशिंगटन डीसी में अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से यूक्रेन के राष्ट्रपति और यूरोपीय नेताओं से हुई बातचीत को भी अहम मानते हैं।
हरीश ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार पुतिन, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं के संपर्क में हैं, ताकि बातचीत के जरिए इस संघर्ष का रास्ता निकले। उन्होंने कहा, ‘‘हम मानते हैं कि ये सभी कूटनीतिक कोशिशें युद्ध को खत्म करने और स्थायी शांति का रास्ता खोल सकती हैं।

 इतना ही नहीं, भारत ने युद्ध से पैदा हो रहे वैश्विक संकट की ओर भी ध्यान दिलाया। हरीश ने कहा कि इस युद्ध का सबसे बड़ा असर विकासशील देशों पर पड़ा है।
उन्होंने कहा ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी और अन्य आर्थिक चुनौतियों से ग्लोबल साउथ के देश मुश्किल में हैं और उन्हें खुद ही संघर्ष करना पड़ रहा है। भारत ने अपनी ‘पीपल-सेंट्रिक’ नीति का हवाला देते हुए बताया कि कैसे यूक्रेन को मानवीय मदद दी गई और विकासशील देशों को आर्थिक सहयोग मुहैया कराया गया। हरीश ने कहा कि टिकाऊ शांति के लिए सभी पक्षों की भागीदारी बेहद जरूरी है।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)

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