आवश्यकता राष्ट्र भक्ति की


  देश विषम परिस्थितियों के दौर में है । मोदी जी के बारे सुना बहुत है कि कठोर निर्णय लेने की उनकी पहचान है। वह हर निर्णय में अदम्य साहस प्रदर्शित करते हैं परन्तु अभी तक  उनका एक भी निर्णय ऐसा नही दिखा जिसमें उनके स्थापित चरित्र के दर्शन हुए हो। यह वक्त खामियां तलाशने नही अपितु उनके साथ खड़े हो राष्ट्र निर्माण में सहयोग करने का है। उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने की लोगों से याचना है। यह समय है कोरोना वायरस से देश को हुई भारी आर्थिक तबाही से उबारने की । अब भी उनके देशप्रेम के प्रति आशंकाओं से लबालब आम-जनमानस का मन विश्वास करने को तैयार नही । आज तक उन्होंने अपने मन की ही बात की है । देश का मन क्या है सुनने की फुरसत ही कहाँ है उन्हें । निस्संदेह देश उनके अद्भुत व्यापारिक क्षमता से बखूबी परिचित है ।
       चुनांची मोदी ने देशवासियों से पहली बार मशवरा मांगा है;कि देश की डिरेल हुई आर्थिक व्यवस्था को रिरेल कैसे किया जाए! इसलिए एक अकाट्य,कारगर एवं टिकाऊँ राय देना प्रासंगिक समझता हूँ । अब भी मोदी जी की देशभक्ति पर सुबहा के बादल मंडरा रहे हैं । वह देशहित में कोई क़दम उठाएंगे उम्मीद कम ही है फिर भी सच्चे देशभक्त व राष्ट्र पुनर्निर्माण का अभिलाषी होने के नाते निम्नवत् सलाह ज्ञापित करता हूँ । मोदी जी यह देश बचाने और उसकी एकता-अखंडता अक्षुण्ण रखने की घड़ी है पालतू व फालतू उद्योगपतियों को गोद में उठाकर पुचकारने व दुलारने की नही ।
 कृपया संज्ञान लें:-यदि आप वाकई देशभक्त हैं सिर्फ वाक्छल के नही,"तब अविलंब देश के सभी निजी संस्थानों को अधिग्रहित करके उन्हें राष्ट्र की सम्पत्ति घोषित करें और RBI को फंड उपलब्ध कराने का  निर्देश दे ताकि प्रतिष्ठानों को एक बार फिर से सुचारु रूप से संचालित किया जा सके । सभी ट्रस्टों को अधिग्रहित करें और उनकी सम्पत्तियों को राष्ट्रीय सम्पत्ति घोषित कर उन सम्पत्ति को राष्ट्र के पुनर्निर्माण में लगाएं । यकीनन हर ट्रस्टी व निजी संस्थानों का मालिक सच्चा देशभक्त है और राष्ट्र के पुनर्निर्माण में आपके साथ खड़ा है । आपके हर आदेश को बड़ी विनम्रता से स्वीकार करेगा ।
            यह क्षण आपकी देशभक्ति परखने का है। यकीनन आप देशवासियों के आकांक्षाओं पर खरा उतरने का साहस अवश्य दिखाएंगे ।
     गौतम राणे सागर

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