अपराध एक शौक युवा हो रहे शिकार" :-बाल्मीकि वर्मा



चंडीगढ़ :- देश में बढ़ रहे अपराध के पीछे का एक और कारण है।वो है शौक आज के युग में शौक भी एक अपना स्थान बना चुका है।हर किसी को कोई ना कोई शौक जरूर होता है और शौक आज के युवाओ को अपराध जैसे दल दल में ढकेल रहा है।किसी को दिखावे के लिये मंहगी मोबाइल चाहिए मंहगी बाइक चाहिए मंहगे जूते मंहगे कपड़े चाहिए।तो किसी को शौक के लिये गांजा स्मैक जैसे मादक पदार्थ चाहिए या फिर शराब चाहिए कुछ तो सट्टा जुआ का भी शौक रखते हैं कुछ दबंगई दिखाने का तो कुछ गर्लफ्रेंड का शौक रखते हैं।इस सब शौक पूरा करने के लिये पैसो की जरूरत पड़ती है।इस मंहगाई में बेरोजगारी भी बढी है अब मेहनत करके इतना शौक पूरा करना आसान नही होता है।फिर शौक पूरा करने के लिये दिन में तारे देखने लगते हैं और बहुता सारा पैसा कमाने के लिये आसान सा तरीका खोजने लगते हैं।नौकरी करके हाई प्रोफाइल जीवन जी नही सकते प्राइवेट नौकरी करने वाला आठ से दस हजार महीने पाता है वो भी बड़ी मुश्किल से अब ये इतने पैसो में मां बाप को दें या फिर अपने शौक पूरे करें ऐसे शौक रखने वाले लोग कोई छोटा मोटा बिजनेस भी नही कर पाते कि चाय की दुकान कर लें कहीं कोई खाने नास्ते का ठेला लगा लें।इनको कम समय में बहुत कुछ हासिल करना होता है।फिर इनको चोरी छीना झपटी हत्या अपहरण जैसे अपराधिक काम करने का तरीका आसान लगता है और वही शुरुआत कर देते हैं।कुछ गांजा स्मैक तस्कर बन जाते हैं कुछ अवैध असलहा या फिर दलाल बन कर अपराध के दुनिया में दस्तक देने लगते हैं फिर इनका सामना पुलिस से होता है कुछ गिरफ्तार करके जेल भेज दिये जाते हैं कुछ रिश्वतखोर पुलिस के संपर्क में आ कर मैनेज कर लेते हैं फिर धीरे धीरे इनका मनोबल बढता रहता है।और फिर नेता मंत्री के संपर्क में आ जाते हैं फिर यही क्रिमिनल गैंगस्टर हिस्ट्रीशीटर बन कर शासन प्रशासन के सरदर्द बन कर मुख्यमंत्री प्रधान मंत्री के कुर्सी तक हिला देते हैं।फिर पुलिस हरकत में आती है इनकाउन्टर करती है कुछ जान से मार दिये जाते हैं कुछ सलाखो के पीछे डाल दिये जाते हैं कुछ राजनिती में आकर देश सेवा का हवाला देकर जनता तथा शासन प्रशासन को गुमराह करके पूरी जिंदगी ऐसो आराम से गुजार देते हैं।

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