एक धूर्त व्यक्ति उद्योगपतियों की साज़िश का शिकार हो उनके इशारे पर अपनी फ़ितरत भरी चालों से देश के आम नागरिकों को बर्बाद कर दिया। एक-एक कर कभी नोटबंदी,कभी GST(गब्बर सिंह टैक्स) और वर्तमान में कोरोना की आड़ में करो ना के माध्यम से। आज देश के तकरीबन 40 करोड़ आम नागरिकों को रोजगार-हीन, आश्रय-हीन,व्यवसाय-हीन कर बेशर्मी भरी बयानों से कह रहा हो: कि देशवासियों ने राष्ट्र निर्माण में इतना बड़ा त्याग किया है। लोग खाने, पहनने, रहने व आय के संसाधनों से साज़िशन महरूम कर दिये गये हैं ताकि देश के गद्दार और मूर्ख व्यक्ति के पालनहार उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाया जा सके!
जिस देश में वहां के नागरिक इतने अबोध व सरल हो कि वह धूर्त व्यक्ति की साज़िश से छीने अपने आय के उद्गम को मूर्ख द्वारा दिये गये त्याग के तमगे को स्वीकार कर लें; वहां बर्बादी निश्चित है। उस देश में या तो धूर्त शासक बर्बाद होता है या फिर वहां कि जनता बर्बादी की दल-दल में फंस असहाय हो निस्सारता से पल प्रति पल अपने को लुटता हुआ देखने को बाध्य होती है।
आत्मनिर्भर भारत का एक ही मक़सद है,स्वयं को और अंततः देश को बचाने का बीड़ा स्वतः उठाएँ। धूर्तों, मक्कारों,फरेबियों व मूर्खों से देश को बचाने की प्रतिबद्धता आम-जन को ही करनी पड़ेगी। यदि देश की जनता इतनी जागरूक हो गई," तब महात्मा ज्योतिबा फूले जैसे सामाजिक क्रांति के अग्रदूत को सच्ची श्रद्धांजलि भेट की जा सकती है।
गौतम राणे सागर,
राष्ट्रीय संयोजक,
संविधान संरक्षण मंच।

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