आवश्यकता सामाजिक सौहार्द और बेलगाम मंहगाई को संतुलित रखने की

 


शिक्षित बनो!           संघर्ष करो!!          संगठित रहो!!

 प्रिय जागरूक देशवासियों 

निष्ठुर व आतताई प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश को एक ऐसे जंगल में तब्दील कर दिया है जहां सिर्फ हिंसक पशुओं का बोलबाला है। यह हिंसक पशु अन्य निरीह पशुओं का शिकार अपनी क्षुधा शांति की बरक्स वर्चस्व व क्रूरता प्रकट करने के लिए कर रहे हैं । प्रदेश में कुछ लोगों ने पशुवत व्यवहार को ही अपना आचरण बना लिया है । इस सरकार ने प्रदेश को अपराध में नंबर 1 बना दिया है । प्रदेश में दिन-प्रतिदिन बढ़ती बलात्कार की घटनाओं की तादाद इतनी अधिक है कि अखबार के अधिकतर पन्ने इन्हीं घटनाओं से भरे पड़े रहते हैं। यह आलम तब है जब समस्त घटनाओं से 10% की प्राथमिकी बमुश्किल ही दर्ज हो पाती है । कई प्रकरणों में प्राथमिकी भी उस समय दर्ज हुई है जब उच्च न्यायालय ने संज्ञान लेकर सरकार को हिदायत दी है। न्यायालय की हिदायतों के उपरांत दर्ज प्राथमिकी के बाद पीड़ित बेटियां या तो जेल में निरुद्ध हैं या काल के कपाल में समाहित ना हो जाए कि जद्दोजहद में तल्लीन है। कुछ बेटियां जो शारीरिक व मानसिक तौर पर कमजोर पड़ी वह काल के गाल में समा गई और अवसर दे गई उन वहशी भेड़ियों को खिलखिला कर हंसने की। समझ नहीं आ रहा है कि क्या यह भारत धरा का वही भूभाग है जहां नारियों को शक्ति का प्रतीक माना गया ,यदि हां उनके सतीत्व को दरिंदगी से भंग करने की सीख किसने दी? कानून व्यवस्था पर ढीली पकड़ क्या सरकार को कटघरे में खड़े करने के पर्याप्त आधार हैं ? सरकार की शिथिलता से प्रश्न जरूर उठता है कि क्या सरकारी निकम्मी एवं पंगु है या फिर बलात्कारियों की संरक्षक। कुलदीप सिंह सेंगर व चिन्मयानंद प्रकरण में पूरे प्रदेश ने यह खेल देखा है।

 *प्रदेश में सरकारी आतंक का कहर*

 अपने कार्यकाल के तकरीबन 3 साल में भाजपा सरकार ने पुलिस महकमे को अपनी हिकमतअमली में लगा रखा है । विपक्षी दलों के प्रतिभाशाली व होनहार नौजवानों का फर्जी मुठभेड़ के आवरण में उनसे कत्ल करवा रही हैं ताकि उनकी सरकार को विरोध न झेलना पड़े उदाहरणार्थ:- पुष्पेंद्र यादव झांसी,बृजपाल मौर्य, पिंटू पटेल इलाहाबाद, नीटू जाटव जसवंतनगर इटावा, प्रदीप तोमर हापुड़, शोएब खान कानपुर इत्यादि । सरकार के इशारे पर पुलिस ने इन लोगों की निर्मम हत्या की है। क्या इन निर्दोषों के हत्यारों को सजा नहीं मिलनी चाहिए?यह प्रश्न प्रसपा  को कचोटता है और निरन्तर व्यथित किए हैं। इन प्रश्नों को लेकर हम आपके बीच आए हैं । आपके आदेश की प्रतीक्षा में हैं। यकीन माने जिस दिन आपके आदेश मिल गए हम इन निर्दोषों के हत्यारों को जेल के सीखचों के पीछे  पहुंचाने के लिए हत्यारी सरकार को उखाड़ फेकेंगे और निर्दोषों की हत्यारों को कठोरतम सजा मुकर्रर करेंगे।

 *जमाखोरों की संरक्षक सरकार*

 पूरा प्रदेश बेरोजगारी की मार से त्राहि-त्राहि कर रहा है ।भुखमरी की कगार पर खड़ा है। किसान अपने उत्पाद की लागत भी नहीं पा रहा है। गन्ना किसान भुगतान के लिए उच्चतम न्यायालय के दरवाजे खटखटा रहे हैं। गद्दार उद्योगपतियों की गोद में पल रही सरकार गन्ना बकाया का भुगतान कराने की बजाय झूठ बोल रही है कि गन्ना के सभी बकायों का भुगतान कर दिया गया है । सरकार का साज़िशन किया गया यह दावा क्या किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने की हिमायत नही कर रहा है? उनके घाव को कुरेदकर बिलबिलाने पर उन्हें  मजबूर नहीं कर रहा है? ऐसा आभास होता है कि प्रदेश सरकार ने जमाखोरों के साथ सांठ-गांठ कर रखा है इसलिए महंगाई सातवें आसमान पर है। खाद्य पदार्थों  की खरीद गरीबों की क्षमता से कई गुना ऊपर निकल गई हैं । पिछले कुछ दिनों में  बाजार भाव देखे प्याज ₹120/किग्रा , टमाटर ₹60/ किग्रा, लहसुन ₹200 /किग्रा,  आलू ₹50 किग्रा , परवल ₹100/किग्रा , बैगन ₹80/किग्रा , ₹50 /गोभी, दालें उड़द ₹90/किग्रा ,चना ₹85 /किग्रा ,मसूर ₹85/किग्रा , अरहर ₹100/किग्रा आदि। यही सब्जियां जब किसानों के पास होती हैं तो उन्हें  बमुश्किल इसकी चौथाई कीमत ही मिल पाती है। कौन है वह जो बिचौलियों को इतना बड़ा लाभ कमाने का मौका दे रहा है? सरकार यह सब अपनी नाक के नीचे होने क्यों दे रही है। जब यह सभी हथकंडे भी किसान मजदूरों के हौसले पस्त नहीं कर पाये तब इस सरकार ने अवारा पशुओं को हथियार की तरह इस्तेमाल कर इनकी रीढ़ की हड्डियां तोड़नी शुरू कर दी है । सरकार ने यह कदम भी गद्दार उद्योगपतियों व जमाखोरों को कालाबाजारी की सहूलियत के लिए उठाया है ।

        आखिर क्यों लकड़ी जलाने पर सरकार का चाबुक गरीबों,मजदूरों की चमड़ी उधेड़ देता है? जब गैस ₹720 में उपलब्ध है तो कैसे कोई किसान, मजदूर,असहाय व बेरोजगार व्यक्ति गैस खरीद पाएगा? यह सब एक सोच समझी रणनीति के तहत किया गया है। सरकार ने प्रदेशवासियों को भूख और भय से मारने का कुचक्र रच रखा है । जिस सरकार की नैतिक जिम्मेदारी प्रदेशवासियों की रक्षा करना, उन्हें रोजगार देना व उन्हें भूख से निजात दिलाने की की थी वही इन्हें मारने का उपक्रम कर रही है। इस सरकार का तांडव प्रदेश की जनता कब तक बर्दाश्त करेगी ? इस धरती पर गरीब, मजदूर, किसान होना क्या इतना गुनाह है? ईमानदारी से अपने खून पसीने की कमाई से स्वाभिमान के साथ जिंदगी बसर  करने की इनकी ख्वाहिशों का गला क्यों घोटा जा रहा है? क्यों आए दिन किसी न किसी बहाने इनका उत्पीड़न किया जा रहा है? कभी धान का ठूठ (पराली) जलाने के नाम पर कभी फर्जी बिजली चोरी के नाम पर आखिर पुलिस वालों की वसूली इस सरकार में परवान चढ़कर क्यों बोल रही है? 

*नौजवानों को गुलाम बनाने की फितरत*

  कोई भी प्रदेश व देश तरक्की की राह तभी पकड़ता है जब उसके देशवासी शिक्षित हो! इस प्रयोजन के लिए वहां की सरकारें  शिक्षण संस्थानों में मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था करती हैं। प्रतीत होता है कि हमारे देश व उत्तर प्रदेश की सरकार युवा शक्ति को अशिक्षित रखने के फितरत में व्यस्त हो गई है। इसीलिये विश्वविद्यालयों व डिग्री कॉलेजों की फीस व छात्रावास और मेस की फीस कई गुना बढ़ा दी गई है। यह सरकार छात्रों को मजबूर कर रही है कि वह कर्ज लेकर अध्ययन करें ताकि उनके समस्त जीवन के अधिकतर कालखण्ड कर्ज उतारने के इर्द-गिर्द ही सिमटकर रह जाए। और वह सरकार की विफलताओं पर सवाल खड़ा न कर सके, जन सरोकार के मुद्दे न उठा सकें, सदियों तक शिक्षा से वंचित लोग सामाजिक न्याय की अवधारणा से परिचित न हो सकें। सामाजिक न्याय के अभाव में  धीरे-धीरे यह सरकार अमर शहीदों के लहू व महान विभूतियों के त्याग तर्पण से हासिल देश की आजादी को कलंकित कर सके इसी मनोवृत्ति की पुनरावृत्ति के साथ यह सरकारें आगे बढ़ रही है ।

  दो इंजनों से चलने वाली यह सरकारें पुनः इस देश को नव ईस्ट इंडिया कंपनी (अंबानी और अडानी) के हाथों गिरवी रख सके इसी वृत्ति में लीन है। *पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया* की सोच को मटियामेट करने की दिशा में महंगी शिक्षा एक दूरी प्रदर्शक प्रतीक है । महंगी शिक्षा किस समाजवाद की अवधारणा है? शिक्षण संस्थानों के सभी मदों में की गई फीस बढ़ोत्तरी को कोई सभ्य समाज कैसे बर्दाश्त कर सकता है? वर्तमान में दो इंजनों की सरकारें लोगों में व्याप्त भाई-चारे को समाप्त कर नफरत फैलाने पर दृढ़ है। कोई समाजवादी प्रगतिशील व्यक्ति देश में व्याप्त दहशत व वहशत के मंजर को कैसे बर्दाश्त कर सकता है? एक प्रगतिशील समाज सांप्रदायिक सौहार्द, धर्मनिरपेक्षता व विश्व गुरु के सम्मान से अलंकृत देश की इस पहचान को किसी पाजी को मिटाने की इजाजत कैसे दे सकता है? नाकाबिले बर्दाश्त है यह वहशियाना हरकतें !

 *संविधान का माखौल*

              भाजपा सरकार का संसद में नागरिकता संशोधन बिल लाने का प्रयोजन या क़दम एक आत्मघाती प्रयास है।यह देश की एकता और अखंडता को ही छिन्न-भिन्न नही करेगा अपितु देश के टुकड़े करने का संदेश भी देता है । सरकार का यह कदम सिर्फ भारत की एकता को ही ख़तरा पैदा नही करता अपितु पड़ोसी देश श्री लंका, म्यांमार, अफगानिस्तान व बंग्लादेश की एकता को तितर-बितर भी करेगा । पाजी पाकिस्तान को भारत के खिलाफ़ ज़हर उगलने व साज़िश करने का भी अवसर दे देगा । सावरकर के चेले इस देश की मज़बूती व भाईचारा पचा नही पा रहे है आजादी के दीवानों के रक्त के बलिदान को कलंकित करने का कुचक्र कर रहे है । प्रतीत होता है आजादी के समय सावरकर और जिन्ना की देश को धर्मांधता के आधार बांटने की साज़िशे जो सफ़ल नही हो पाई थी उसे उनके चेले इमरान खान से सांठ-गांठ कर सफल कर देगें । हम भारत के लोग, सच्चे सपूत, देश भक्त व अखण्ड भारत के सजग व जीवंत प्रहरी किसी भी शरारती तत्वों को हमारे देश को बर्बाद करने की छूट कैसे दे सकतें हैं । संविधान के अनुच्छेद 14 व 15 को कलंकित करने की किसी को इजाजत कैसे दी जा सकती है? सरकार में बैठे हुए लोगों का यह कदम क्या देश को पुनः गुलामी की तरफ़ नही धकेल रहा है? क्या आप चाहते हैं कि यह देश एक बार फिर गुलाम बन जाए? यदि ऐसा हो गया तो हम क्या मुंह दिखाएँगे आजादी के उन दीवानों बहादुर शाह जफर, चन्द्र शेखर आज़ाद, भगत सिंह, बिस्मिल ख़ान, राजगुरु, सुभाष चन्द्र बोस, गांधी जी व सरदार पटेल को जिन्होंने हम पे भरोसा कर यह अपेक्षा की थी :-

  हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के,

 इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के ।

 तुम ही भविष्य हो मेरे भारत विशाल के ,

 इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के ।।

     प्रदेश के नागरिकों का बिगुल है निरंकुश सरकार के तांडवकारी हथकंडों को भस्मीभूत करने का। बेइंतहा फीस में हुई वृद्धि से छात्रों को निजात दिलाने का। बहन बेटियों को कामुक वहशी नरपिशाचों से भयमुक्त कराने का। जमाखोरों के खिलाफ हल्ला बोलने का। किसानों को उनकी फसलों की अच्छी कीमत दिलाने का ।गन्ना किसानों का संपूर्ण बकाए का भुगतान कराने का। मजदूरों को काम व पूरी मजदूरी दिलाने का।देश में एकरूप समाज की स्थापना करने का। मुस्लिम भाइयों के खिलाफ की जा रही साजिशों का भंडाफोड़ करने का। अपराधियों को संरक्षण देने वाली सरकार का पर्दाफाश करने का। फर्जी मुठभेड़ में निर्दोष लोगों को मार गिराने वाले पुलिस चेहरों को बेनकाब करने का । इन सभी महापापों की जिम्मेदार सरकार को उखाड़ फेंकने का। 

 आइए अपनी शिरकत करिये, आदेश कीजिए ताकि प्रदेश की बेरहम व तांडवकारी सरकार को उखाड़ फेंके। भय, भूख, भ्रष्टाचार, फर्जी मुठभेड़ व बलात्कार से इस प्रदेश को मुक्त कराएं। 

गौतम राणे सागर, 

राष्ट्रीय संयोजक, 

संविधान संरक्षण मंच।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ