स्त्रियों को जेल एवं फांसी की सजा समाप्त करें"

"परम सम्माननीय मुख्य न्यायाधीश संविधान पीठ"
सर्वोच्च न्यायालय

जनहित याचिका:" स्त्रियों को जेल एवं फांसी की सजा
                         समाप्त करें"

"परम सम्माननीय संविधान पीठ"
"जब हम महिला को जेल में डालेंगे फांसी पर लटकाने लगेंगे तब गांधी"भगत'अंबेडकर' कलाम" कहां से लाएंगे"?स्वप्न में भी महिला को कैदखाने में रखना एवं फांसी हमारी संपूर्ण विचार' एवं दृष्टि' पर कलंक है। ऐसा करने का अर्थ होगा हम "सृष्टि से प्लेजर"एवं सृष्टि"ही गायब कर देंगे। हमारे कदम घातक जगह की ओर बढ़ते जा रहे हैं। हमें एक ऐसा विधान करना चाहिए जो सूरज"चांद रहने तक स्त्री को कैद खाने में रखने एवं फांसी पर लटकाने का स्वप्न भी न देख सके। 

"स्त्रियों को कैद" एवं फांसी की सजा समाप्त करें "भारत की सभ्यता"और संविधान"इसकी अनुमति नहीं देता" आजादी के 76 साल बीत जाने के बाद भी नारी कैद खाने में हो और आप बाहर आजादी आजादी चिल्ला रहे हो? शर्म "करिए अपने पर ।याद करिए अपने अतीत एवं संविधान" को।

"स्त्री रक्षा का दस्तावेज ' जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़"और उसे कैदखाने एवं फांसी पर लटकाने की ओर बढ़ते हाथ"?

स्रष्टा"को फांसी कैसे दी सकती? उसे फांसी कौन लगाएगा? उसका जिस्म उसकी मर्जी के बिना कौन छूएगा? कानून 'महिला कसाई' पर मौन है'। महिला को  तो कोई ऐसा जल्लाद फांसी दे सकता है जो महिला के पेट से पैदा न हो। महिला को फांसी देने का अर्थ है उसे पकड़कर जबरदस्ती कत्ल करना"

जो पैदा किया उसे फांसी कैसे दे सकते हैं? उसे फांसी देने का अर्थ प्रकृति को फांसी देना।"
उत्तरआधुनिकता"पोस्टमॉडर्निज़्म"हमें इस जगह पहुंचा दिया कि हमारे क्रिमिनलाइज्ड हाथ लपकते लपकते मां के गले तक पहुंच गए। धीरे-धीरे हम वहां पहुंच रहे हैं जहां अपने आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ भी अच्छा छोड़कर नहीं जाएंगे।

स्त्री द्वारा किए गए प्रत्येक अपराध के लिए पुरुष जिम्मेदार है। स्त्री का कोई निजी अपराध नहीं होता। उसका प्रत्येक अपराध पुरुष मोटिवेटेड" पुरुष द्वारा कराया गया" पुरुष के लिए किया गया"होता है।

भारत की जेल में कैद स्त्रियों को जेल से बाहर करें। स्त्रियों को जेल में रखने से अपराध"नफरत"पारिवारिक अशांति" एवं विखंडन"बढ़ती जा रही है।

हमारी सभ्यता" महिला को फांसी की अनुमति नहीं देती। महिला को फांसी देने का अर्थ है प्रकृति को फांसी देना। मानव की बनाई कोई व्यवस्था प्रकृति को फांसी पर नहीं लटका सकती ।
प्रतिलिपि :- हॉनरेबल दिल्ली हाईकोर्ट सीजे इलाहाबाद हाई कोर्ट डीजे गोरखपुर ।  ह्यूमन राइट्स कमीशन ला मिनिस्टर एवं स्पीकर पार्लियामेंट अध्यक्ष राज्यसभा सीएम उत्तर प्रदेश राज्यपाल उत्तर प्रदेश

डॉ संपूर्णानंद मल्ल         
    सत्यपथ      
पीएचडी इन हिस्ट्री दिल्ली यूनिवर्सिटी
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