पाखंड अंधविश्वास के लिए अकूत संसाधन एवं संपत्ति अयोध्या की मिट्टी में दफन की जा रही है

15 जनवरी 2024
"परम सम्माननीय मुख्य न्यायाधीश" संविधान पीठ "
सर्वोच्च न्यायालय

"परम सम्माननीय न्यायाधीश"
"जनहित याचिका"
प्रधानमंत्री' मुख्यमंत्री' राज्यपाल' द्वारा पाषाण प्रतिमा में प्राण डालने पर प्रतिबंध लगाया जाए" क्योंकि इस पाखंड अंधविश्वास के लिए अकूत संसाधन एवं संपत्ति अयोध्या की मिट्टी में दफन की जा रही है, जिस देश में 80 करोड़ गरीब 5 किलो अनाज में जीवन की तलाश कर रहे हैं 22 करोड़ कुपोषित है वहां का प्रधानमंत्री द्वारा पत्थर में प्राण प्रतिष्ठा संविधान की हत्या है 
"परम सम्माननीय न्यायाधीश"
"राइट टू फ्रीडम ऑफ़ रिलिजन "संविधान के भाग 3 अनु 25 - 28) के बीच कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं है कि भारत के प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए जिनके खर्च सार्वजनिक/ सरकार पर भारित है, मंदिर निर्माण" कराएंगे जिर्णोधार" कराएंगे पाषाण मूर्तियों में प्राण प्रतिष्ठा" करेंगे। यह फ्रीडम ऑफ़ रिलिजियस राइट के अधिकार की हत्या है। मा• प्रधानमंत्री अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास कर संविधान का हनन किया और अब 22 जनवरी को पत्थर में प्राण डालने के पाखंड एवं अंधविश्वास के द्वारा संविधान की हत्या करेंगे।
"पत्थर में प्राणप्रतिष्ठा" पाखंड' अंधविश्वास से अभिन्न है एवं असंवैधानिक है। 

यद्यपि संविधान के भाग 4A(h)  "टू डेवलप  साइंटिफिक टेंपर ह्यूमैनिटीज एंड द स्पिरिट ऑफ़ इंक्वायरी एंड रिफॉर्म" किसी भी नागरिक के लिए बाध्यकारी नहीं है' फिर भी इसका यह अर्थ नहीं "साइंटिफिक टेंपर" के स्थान पर कोई व्यक्ति सार्वजनिक तौर पर अंधविश्वास' पाखंड' एवं अवैज्ञानिकता का प्रसार करें। और साइंटिफिक टेंपर को दफन करें। पत्थर में प्राण प्रतिष्ठा' किसी पाखंडी अधविश्वासी  पुजारी का काम है।

"परम सम्माननीय न्यायाधीश"
21 जन शाम तक प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री गवर्नर द्वारा प्राण प्रतिष्ठा पर रोक नहीं लगी" तब भगत सिंह के' समाजवाद' गांधी के 'सत्य अहिंसा स्वराज"और अंबेडकर के "संविधान"की रक्षा के लिए 22 जनवरी गांधी समाधि"राजघाट पर अनशन करूंगा ।

डॉ संपूर्णानंद मल्ल        पूर्वांचल गांधी
सत्यपथ' गोविंद नगरी ps शाहपुर गोरखपुर  273004
9415418262

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