नहीं रहे संस्कृत विद्वान प्रो. कामता प्रसाद, विधायक ने घर पहुंचकर जतायी संवेदना

नहीं रहे संस्कृत विद्वान प्रो. कामता प्रसाद, विधायक  ने घर पहुंचकर जतायी संवेदना

प्रतापगढ़ संवाददाता गणेश राय 

संस्कृत विद्वान की स्मृति को नमन करती विधायक आराधना मिश्रा मोना

प्रतापगढ़। क्षेत्र के अगई निवासी संस्कृत विद्वान एवं पूर्व उपकुलपति प्रो. कामता प्रसाद त्रिपाठी पीयूष के आकस्मिक  निधन पर गहरा दुःख जताया गया है। प्रो. कामता प्रसाद छत्तीसगढ़ के इंदिरा कला संगीत विश्वविश्वविद्यालय खैरागढ़ में उपकुलपति भी रहे। छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भी प्रो. कामता प्रसाद की पुस्तकों पर उन्हें छत्तीसगढ़ राज्य के सर्वोच्च भाषा सम्मान महर्षि वाल्मीकि समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया जा चुका है। राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता प्रमोद तिवारी तथा क्षेत्रीय विधायक एवं  कांग्रेस  विधान मण्डल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने प्रो. कामता प्रसाद को संस्कृत साहित्य एवं कला तथा संगीत के क्षेत्र में विलक्षण व्यक्तित्व ठहराते हुए उनके निधन को अपूर्णनीय क्षति कहा है। विधायक आराधना मिश्रा मोना निधन की जानकारी पर रविवार को अगई स्थित उनके आवास पर पहुंची और स्वयं तथा राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी  की ओर से भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रदेश के पूर्व मंत्री प्रो0 शिवाकान्त ओझा तथा शिक्षक विधायक उमेश द्विवेदी ने भी प्रो. कामता प्रसाद के निधन को लेखन व भाषाई उत्थान के क्षेत्र में रिक्तता कहा है। वहीं प्रो. कामता प्रसाद के निधन पर संस्कृत परिषद की सभा में भी संवेदना प्रकट की गयी। डाॅ. शक्तिधर नाथ पाण्डेय, डाॅ. शिवमूर्ति शास्त्री, भागवत भूषण पं. विनय शुक्ल, आचार्य पारसनाथ तिवारी, डाॅ. ज्ञानेन्द्रनाथ त्रिपाठी, आचार्य रामअवधेश मिश्र, ज्ञानप्रकाश शुक्ल, आचार्य राजेश मिश्र, चेयरपर्सन प्रतिनिधि संतोष द्विवेदी, डाॅ. श्यामदुलारी सिंह, प्राचार्य डाॅ. अमित सिंह ने भी सभा में प्रो. कामता प्रसाद के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला। प्रो. कामता प्रसाद के पुत्र राकेश त्रिपाठी व अम्बिकेश त्रिपाठी से बड़ी संख्या में  रविवार को शिक्षकों को भी मुलाकात कर साथी के पिता के निधन पर दुःख जताते देखा गया।

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