महाराष्ट्र चुनाव परिणाम ने चुनाव विश्लेषकों को हतप्रभ किया है। चुनाव की नब्ज़ टटोलने के स्वयं सिद्धहस्त वैद्यराज को हरियाणा चुनाव नतीजों से सतर्क हो जाना चाहिए था। अस्तित्व की रक्षा को उपेक्षित परिमाप पर लटकाने से बचना भी चाहिए था। कुछ वैद्य सतर्क भी थे फिर भी गेंद हाथ से फिसल कर फुल टॉस में तब्दील हो गई,गेंद हवाई यात्रा पर ऊँची उड़ी, सीमा रेखा के बाहर की दूरी तय कर गई। प्री पोल में महाराष्ट्र चुनाव को सभी सर्वसम्मत से काँटे का चुनाव मानने के बावजूद रूझान में महायुति के पक्ष में झुकता देख रहे थे। परिणाम ने तक़रीबन चुनावी नब्ज भापने के माहिर खिलाड़ियों को हतप्रभ कर दिया है।
पांच महीने के अंदर अचानक से ऐसा क्या बदलाव हो गया कि जो महायुति लोकसभा चुनाव में औंधे मुँह भहराई पड़ी थी वह न सिर्फ उठ खड़ी होती है, विपक्षियों को रेस में पछाड़ती ही नही कोसों पीछे छोड़ अकेले दम पर मंजिल के बहुत ही करीब पहुंच जाती है। दोनों चुनावों की समीक्षा समीचीन होगा महाराष्ट्र लोकसभा चुनाव में बीजेपी के पक्ष में 26.18%, के हिसाब से टोटल मत 14,913,914 पड़े और 9 सीट हासिल हुई। शिवसेना के पक्ष में 12.95% के हिसाब से 7,377,674 मत पड़े सीट हासिल हुई 8 और एनसीपी को 3.60% के हिसाब से कुल मत पड़े 2,053,757और 1 सीट पर जीत मिली। कांग्रेस के पक्ष में 16.92% के हिसाब से 9,641,856 मत हासिल हुए और 13 सीट पर जीत हासिल हुई। शिवसेना (उद्धव) के पक्ष में 16.72% के हिसाब से 9,522,797मत पड़े और 9 सीट पर जीत हासिल हुई। एनसीपी (शरद पवार) के पक्ष में 10.27% के हिसाब से 5,851,166 मत पड़े और उनके दल ने 10 सीट पर विजयश्री का परचम लहराया। 2024लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के पक्ष में 43.91% के हिसाब से कुल मत हासिल हुए 25,015,819 और गठबन्धन ने 30 सीट पर जीत दर्ज की। NDA के पक्ष में 42.73% के हिसाब से कुल मत पड़े 24,345,345 और इन्हें 17 सीट पर जीत मिली।
झारखंड लोकसभा चुनाव में बीजेपी के पक्ष में 44.60% के हिसाब से कुल मत पड़े 7,613,996 और इनका 8 सीट पर विजयश्री का पताका फहराया। इंडिया गठबंधन के पक्ष में 38.97% के हिसाब से कुल मत पड़े 6,653,356 और 5 सीट पर जीत हासिल करने में सफलता अर्जित की। 2024 लोकसभा और इन दो राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव की समीक्षा करना प्रासंगिक होगा। झारखंड विधानसभा चुनाव परिणाम पर पैनी नज़र रखने पर नतीजों के बदलने का बड़ा कारण जो दिखेगा वह है हेमन्त सोरेन के प्रति उपजी सहानुभूति की लहर। झारखंड का बहुसंख्यक मतदाता हेमन्त सोरेन को उत्पीड़न का शिकार मान रही थी। बीजेपी और मोदी को प्रपीड़क के रूप में देख रही थी। इसके बावजूद झारखंड की जनता देश के नेता के रूप में मोदी को अपनी पहली पसन्द मान रही थी लेकिन क्षेत्रीय स्तर पर वह हेमंत सोरेन के साथ डटकर खड़ी थी। चुनाव परिणाम का विश्लेषण करने पर यही तस्वीर उभरती है। विधानसभा चुनाव में बीजेपी के पक्ष में 33.18% के हिसाब से कुल मत पड़े 5,921,474 और 21 सीट पर जीत हासिल हुई। आजसू के पक्ष में 3.54% के हिसाब से कुल मत पड़े 632,186 और 1 सीट पर जीत मिली। जेएमएम के पक्ष में 23.44% के हिसाब से कुल मत पड़े 4,183, 281और 34 सीट पर जीत दर्ज की। कांग्रेस के पक्ष में 15.56% के हिसाब से कुल मत पड़े 2,776,805 और 16 सीट पर जीत मिली। राजेडी के पक्ष में 3.44% के हिसाब से कुल मत पड़े 613,880 और 4 सीट पर जीत मिली। सीपीआई ML (L) के पक्ष में 1.89% के हिसाब से कुल मत पड़े 337,062 और 2 सीट पर जीत मिली। इस तरह इंडिया गठबंधन के पक्ष में 44.33% मत पड़े। NDA गठबंधन से 8%अधिक मत इंडिया गठबंधन के पक्ष में पोल हुआ। दोनों गठबंधनों के बीच हार जीत का फासला इसी 8% की देन है। इस परिणाम को अप्रत्याशित नही स्वाभाविक ही माना जाएगा। हेमन्त सोरेन का विक्टिम कार्ड यहां ख़ूब चला है। झारखंड की जीत का श्रेय हेमन्त सोरेन के विक्टिम कार्ड को जाता है न कि मैय्या योजना को। मीडिया में मैय्या योजना को श्रेय देने की कवायद इसलिए है ताकि महाराष्ट्र के अप्रत्याशित चुनाव परिणाम को उचित ठहराया जा सके! झारखंड की मैय्या योजना और महाराष्ट्र की लड़की बहना को श्रेय देकर पल्ला झाड़ दूर खड़े हो जाएं।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणाम को बहुत ही बारीकी से परखने की आवश्यकता है ताकि माइक्रो मैनेजमेंट को समझने में कोई दिक्कत न हो। महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी के पक्ष में 26.77% के हिसाब से कुल मत पड़े 17,293,650 और 132 सीट पर जीत हो जाती है, मात्र .59% वोट की बढ़ोत्तरी से लोकसभा की 9 सीट का विधानसभा की 132 सीट में तब्दील हो जाना अप्रत्याशित नही तो और क्या हो सकता है? शिवसेना के पक्ष में 12.38% के हिसाब से कुल मत पड़े 7,996,930 और 57 सीट झोली में आ गिरी। लोकसभा की तुलना में शिवसेना को .57% मत कम पड़े फ़िर भी 8 लोकसभा की सीट का विधानसभा की 57सीट बदल जाना चमत्कार नही तो आख़िर क्या है? एनसीपी के पक्ष में 9.01% के हिसाब से कुल मत पड़े 5,816,566 और 41 सीट इनकी झोली का बोझ बढ़ा दिया। शरद पवार की तुलना में एनसीपी का असली नायक इन्हीं ही स्थापित कर दिया। अजित पवार ही एनडीए गठबंधन के ऐसे सहयोगी जिनके जनाधार में 5.41% का जबरदस्त उछाल दिखा है। महाराष्ट्र चुनाव परिणाम को अप्रत्याशित मानना कहीं से भी अतिशयोक्ति नही हो सकता। NDA गठबंधन के जनाधार में मात्र 5.43% की बढ़ोत्तरी से चुनाव परिणाम का इस तरह एकतरफा हो जाना हर चुनावी पंडितों को हतप्रभ करेगा ही। जहां विपक्ष का नेता ही अस्तित्व विहीन हो जाए वहां की सुनामी को भांपना किसी के वश में नही दिखा।
सरसरी निगाह से देखने पर झारखंड और महाराष्ट्र चुनाव में कोई अंतर नजर नही आऐगा लेकिन बारीकी से सुरागरसी की जाए तब जमीन आसमान की भिन्नता दिखेगी। 2014 के बाद से एक सामान्य बोधगम्य मान्यता है कि मोदी मैजिक बेजोड़ है, अकाट्य है। झारखंड लोकसभा चुनाव में मोदी मैजिक में ह्रास अवश्य हुआ परन्तु ख़ारिज नही हुआ था। महाराष्ट्र मोदी मैजिक को ध्वस्त करता प्रतिबिंबित हुआ, महाराष्ट्र ने मोदी की प्रासंगिकता को नकार दिया। महाराष्ट्र चुनाव में मोदी मैजिक नही चला, असली और नकली उत्तराधिकारी के बीच के भयानक युद्ध ने एकनाथ शिंदे और अजित पवार को वास्तविक उत्तराधिकारी के रूप में स्थापित ज़रूर किया है। नांदेड़ लोकसभा उप चुनाव में कांग्रेस की जीत प्रमाणित करती है कि महाराष्ट्र में मोदी की अहमियत भारतीय राजनीति से तेज़ी से गिरी है।
बीजेपी की जीत ठीक उसी तरह है जैसे लकड़ी से बनी नाव में कील की तरह लोहा लगकर पानी में तैरने लगता है। निष्पक्ष विवेचना से जो यथार्थ प्रकट होता है, प्रमाणित करता है कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत का श्रेय एकमात्र व्यक्ति सिर्फ़ अजित पवार को जाता है। यह यथार्थ क्या मोदी जी और अमित शाह पचा पायेंगे? विवेचना यही प्रमाणित करती है एकनाथ शिंदे की ही मुख्यमंत्री के रूप में ताजपोशी होनी चाहिए। यदि निर्णय अलग तरीक़े से लिया गया और देवेन्द्र फणनवीस की ताजपोशी की हिमाकत हुई तो चुनाव परिणाम को अप्रत्याशित मानने वाले लोगों को शक करने का हक़ मिल ही जाता है। उनके शक के आधार मज़बूत है। बीजेपी मोदी जी के करिश्माई नेतृत्व पर टिकी है। महाराष्ट्र ने उन्हें नकार दिया है फ़िर बीजेपी के चमत्कारी परिणाम स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव के प्रतिफल है गले से नीचे उतर ही नही पायेगा।
महाराष्ट्र चुनाव परिणाम को अप्रत्याशित मानने की वजह है; चुनाव आयोग का डेटा, जो 20 नवम्बर को जारी किया गया है। शाम 7.30बजे पीआईबी चुनाव आयोग का आधिकारिक डेटा ऐप चुनाव टर्नआउट का डेटा जारी करते हुए सूचना देता है कि झारखंड में 67.59% और महाराष्ट्र में 58.22% पोलिंग हुई है। रात्रि 11 बजे इसे संशोधित करते हुए सूचना दी गई कि झारखंड में.96% की मामूली बढ़ोत्तरी के साथ 68.45% और महाराष्ट्र में अचानक से खटाखट 6.56% पोलिंग बढ़ोत्तरी के 64.78% पोलिंग टर्नआउट दर्ज़ की गई।
*गौतम राणे सागर*
राष्ट्रीय संयोजक,
संविधान संरक्षण मंच।
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