'महामहिम राष्ट्रपति'
"मुझे संविधान चाहिए न कम न अधिक"
'मैं'जीवन'स्वतंत्रता'की हिफाजत की गुहार लगा रहा हूं सरकार सुनती नहीं'इसमें कहीं लोकतंत्र है? यह तो निरंकुश'तंत्र है और इसे मैं तोडूंगा.
'महोदया'
हमारे पेट पर टैक्स क्यों लगाया गया? हमारी निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स क्यों लगाया गया? शिक्षा चिकित्सा रेल पर टैक्स या महंगी क्यों की गई. जीवन की उक्त जरूरतें माननीयों को फोकट'फ्री' में दी जाती हैँ धनी अमीर पूँजीपति पैसे से खरीद लेता है परंतु 5 किलो अनाज में जीवन की तलाश करने वाले 80 करोड़ कंगाल एवं 22 करोड़ कुपोषित,जिनके पास फूटी कौड़ी नहीं है,जीवन की ज़रूरतों से बंचित हैं. बताइए संविधान कहां है?
'महोदया'
सैकड़ो पत्र' ज्ञापन' में मैंने लिखा कि आटा चावल दाल तेल चीनी दूध दही दवा जो प्राण है जीवन है पर टैक्स gst 'जीवन के मौलिक अधिकार,अनु 21,का वायलेशन''है समाप्त कर दीजिए निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स "कहीं आने जाने की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार, अनु 19,की हत्या है समाप्त कर दें "एक समान"नि:शुल्क'शिक्षा चिकित्सा रेल यानी गरीब अमीर सबके लिए एक विद्यालय''एक चिकित्सालय' 'एक रेल' की व्यवस्था करें ताकि 5 किलो अनाज में जीवन की तलाश करने वाले 80 करोड़ कंगाल एवं 22 करोड़ कुपोषित,जिनके पास फूटी कौड़ी नहीं है,जीवन की ज़रूरतें पास सके. परंतु जिस प्रकार ब्रिटिश वायसराय इर्विन भगत सिंह सुखदेव राजगुरु के फांसी की सजा माफी'निवेदन अनदेखा कर दिया उसी प्रकार यह सरकार भी है
'महोदया'
पुनःनिवेदन करता हूं आटा चावल दाल तेल चीनी दूध दही दवा पर टैक्स समाप्त कर दें निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स समाप्त करें "एक समान' निशुल्क शिक्षा चिकित्सा रेल यानी गरीब अमीर सबके लिए 'एक विद्यालय''एक चिकित्सालय" 'एक रेल'की व्यवस्था कर दें अन्यथा सत्य अहिंसा की ताकत से ऐसी लुटेरी नफरती सरकार एवं संसद (अच्छे छोड़कर ) जिसमें चोर लुटेरे अपराधी है नहीं चलने दूंगा।
14 अप्रैल,अम्बेडकर जयंती संसद पर सत्याग्रह
सत्ता के चोर लुटेरे अपराधियों को श्रेणीबद्ध सुरक्षा और मुझे बार-बार लिखने के बाद भी सुरक्षा नहीं
प्रति:- परम सम्माननीय सर्वोच्च न्यायालय
माननीय मानवाधिकार आयोग
माननीय गृह मंत्री
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