बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी

बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी 

*डीपीआरओ किरण चौधरी का विवादों से रहा पुराना नाता

 *ऊंची पहुंच से बचती रही हर बार 
संवाददाता आलोक तिवारी 

मथुरा में 70 हजार रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में विजिलेंस टीम द्वारा मंगलवार को गिरफ्तार डीपीआरओ किरन चौधरी पर पहले भी आरोप लगते रहे हैं। हर बार अपनी ऊंची पहुंच के बल मामला रफा-दफा होता रहा। वर्ष 2022 में ग्राम पंचायतों में लाइटें लगवाने के मामले में भी जांच बैठी थी। इसके अतिरिक्त दर्जनों बार ग्राम प्रधान उनकी शिकायत कर चुके हैं। सुल्तानपुर की रहने वाली डीपीआरओ किरन चौधरी को जुलाई 2021 से मथुरा में तैनाती मिली।
जिला पंचायत राज अधिकारी के पद पर रही किरण चौधरी तेज तर्रार अधिकारी थी, होना भी चाहिए अधिकारी अगर तेज तर्रार होगा उसकी कार्यशैली उतनी ही आक्रामक और प्रभावशाली होगी, किरण चौधरी की शासन में मजबूत पकड़ और होशियार भी थी, पूर्व में मथुरा के एक इंटर कालेज में किरण वर्मा के नाम से सहायक अध्यापिका के पद पर कार्यरत रह चुकी थी जिसके कारण मथुरा की भौगोलिक व राजनैतिक स्थिति से भली भांति परिचित थी इसी दूरदर्शिता के चलते उन्होंने मथुरा में डीपीआरओ पद पर तैनाती से पूर्व मथुरा में जाटों का प्रभाव देख अपना सरनेम वर्मा से बदलकर चौधरी कर दिया, मथुरा के जाट नेता उनको अपनी सजातीय महिला अधिकारी होने के कारण जाट नेताओं का समर्थन मिलता रहता था। मजे की बात यह है कि किरण चौधरी को वर्तमान प्रदेश और केंद्र की सरकार में मजबूत राजनैतिक पकड़ वाली अधिकारी बताया जाता रहा है, मथुरा के तमाम दिग्गज नेताओं द्वारा डीपीआरओ किरण चौधरी के खिलाफ कार्यवाही कराने की कोशिश की यहां तक मथुरा से हटवाने के लिए एडी चोटी का जोर तक लगा दिया पर प्रत्येक स्तर पर असफलता ही हाथ लगी। इस पद पर रहते किरण चौधरी के द्वारा जनपद की बड़ी ग्राम पंचायतों पर अपने चहेते सचिवों को नियुक्त किया।
ऐसी कद्दावर अधिकारी को गिरफ्तारी के बाद विजिलेंस टीम ने उनके थाना हाईवे स्थित इंद्रप्रस्थ कॉलोनी के आवास पर 40 मिनट तक पूछताछ की। इसके साथ ही दूसरी टीम राजीव भवन में डीपीआरओ के कार्यालय और उनके कक्ष में कागजात को खंगालती रही थी। डीपीआरओ की गिरफ्तारी की सूचना राजीव भवन में आग की तरह फैल गई। हालांकि कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं था। वहीं दबी जुबान डीपीआरओ और उनके चालक के रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार होने की चर्चा दबी जुबान में कर्मचारी करते रहे।
मंगलवार की सुबह जैसे ही विजिलेंस की टीम डीपीआरओ ऑफिस पहुंची। जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय में अधिकारी और कर्मचारियों में अफरा-तफरी मच गई। देखते ही देखते पूरा कार्यालय कर्मचारी और अधिकारी विहीन हो गया। टीम के सदस्यों ने कार्यालय और डीपीआरओ कक्ष में कई घंटे तक कागजातों को खंगाला। कार्रवाई के दौरान उनके साथ शिकायतकर्ता झुडावई के ग्राम प्रधान प्रताप सिंह राना भी साथ थे। कार्यालय में बडे़ बाबू समेत कुछ कर्मचारी ही मौजूद रहे। उन्होंने विजिलेंस को कागजात सौंपे।
डीपीआरओ और उनके चालक को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार होने की सूचना के बाद जब मीडिया ने जिले के अधिकारियों से संपर्क किया तो उन्होंने चुप्पी साध ली। यहां तक कि जिलाधिकारी सीपी सिंह ने भी इस बारे में कुछ भी बताने से इन्कार कर दिया। डीआईजी शैलेश कुमार पांडेय ने बताया कि डीपीआरओ के रिश्वत लेने के मामले की जानकारी हुई है, लेकिन विजिलेंस की टीम ने उन्हें किसी भी प्रकार की कोई जानकारी नहीं दी। न ही डीपीआरओ के निवास स्थान पर थाना क्षेत्र में कोई सूचना दी गई। पूरा अभियान विजिलेंस ने गुप्त रखा। इसके बाद डीपीआरओ और उनके चालक को अपने साथ ले गई। आज डीपीआरओ किरण चौधरी को कोर्ट में पेश किया गया।

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