*हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी राजस्व विभाग द्वारा नहीं हटवाया गया पोखरी और सरकारी जमीन से अवैध अतिक्र मण*
उत्तर प्रदेश सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ जी जहाँ एक तरफ कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और भू माफियाओं के अवैध कब्जे से सरकारी जमीनों को मुक्त कराने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं तो वहीं दूसरी तरफ पुलिस विभाग और राजस्व विभाग के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा उनके इस महत्वपूर्ण अभियान को सरेआम चुना लगाया जा रहा है।
ऐसा ही मामला कसया तहसील क्षेत्र के ग्रामसभा अहिरौली राजा में एक सरकारी जमीन जो बहुत ही कीमती और मुख्य मार्ग के सटे है,जिस पर लगभग पंद्रह वर्ष पहले ग्राम पंचायत द्वारा प्रशासन की मदद से अवैध अतिक्रमण हटवाकर वीम और पीलर लगवा दिया गया है।उस सरकारी जमीन पर राजस्व विभाग की मिलीभगत से नक्सा तरमीम करवा दिया गया है।आज उस सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा किये कुछ और लोगों के आपसी विवाद को निपटाने के लिए जब हल्का लेखपाल मौके पर गयीं तब नक्शा देखने के बाद जब ग्रामीणों ने यह प्रश्न उठाया तो उनके पास टालमटोल करने के सिवा कोई जबाब नही था।नक्शा हाथ में होते हुए भी वो अवैध कब्जा किये लोगों से यह तक पूछने तक का जहमत नहीं कर पाई की आप लोगों ने सरकारी जमीन पर क्यों कब्जा किया है।
इस संबंध में जब राजस्व निरीक्षक से पूछा गया तो उनका कहना था।यह मामला मेरे सज्ञान में नही था इसकी जानकारी हुई है, जांचकर कार्यवाही की जाएगी। वर्तमान समय मे इस ग्रामसभा में जितने भी सरकारी जमीन चाहे वो पोखरी हो खाद गड्ढा हो या अन्य भूमि हो लगभग सबपर दबंगों का अवैध कब्जा है।और राजस्व विभाग के कर्मचारियों को उसे खाली कराने में कोई रुचि नहीं है।जबकि ग्रामीणों द्वारा अवैध कब्जा खाली कराने के लिए हाईकोर्ट में लगभग एक साल पहले याचिका दायर की गई है लेकिन उसपर भी बिभाग द्वारा केवल खानापूर्ति ही कि गयी है।कई महीनों से यहाँ की नालियों में पानी जमा है मगर उसके निकासी की कोई ब्यवस्था नही है। राजस्व कर्मी अवैध अतिक्रमण को हटवाना और सरकारी जमीन को सुरक्षित रखने को बिभाग का काम मानते ही नही हैं।जब कोई ग्रामीण निजी रूप से अवैध अतिक्रमण के लिए शिकायती पत्र देता है तब कुछ देर के लिए इनकी चेतना जगती है और धन लक्ष्मी के आने के बाद इनके द्वारा खानापूर्ति कर इन मामलों को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
सरकार चाहें लाख पारदर्शी योजनाओं को लाये लेकिन जबतक भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही नहीं होगी।और इनकी जबाबदेही नही तय होगी।अवैध कब्जा और भ्रष्टाचार नहीं खत्म होगा।
*दिनेश जायसवाल की रिपोर्ट*
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