संवाददाता लुधियाना
कहने को लुधियाना पंजाब और हिंदुस्तान के प्रमुख औद्योगिक शहरों में से एक है लेकिन आज के लुधियाना को कोई अगर एक नजर देख ले तो कहेगा की वो लगता है किसी नर्क का दर्शन कर रहा है, किताबों वाले लुधियाना शहर की नहीं
पिछले चार दिन से लगातार हो रहे मुसलाधार बारिश ने ऐसा लगता है इस शहर से इसका सब कुछ छीन लिया है
इसका गौरव, इसकी समृद्धि, इसकी व्यवस्था, इसकी सादगी
आलम ये है की पंजाब सरकार ने भाखड़ा नांगल सहित तीन बांधों को बारिश की घनता को देखते खोल दिया है,
पूरा पंजाब बारिश की दृष्टि से देश के येलो जोन में बाँट दिया गया है
लगभग 90 प्रतिशत भूभाग बाढ़ की चपेट में है,
पशुधन और जान माल की भारी क्षति के साथ साथ लाखों हेक्टेयर फसलें जलमग्न हो चुकी हैं
पंजाब के प्रमुख शहरों की स्थिति भयावह दिखती है
स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, सरकारी भवन सब अपनी पोल खोल चुके हैं
अगर अकेले लुधिआना की बात की जाए तो हालात बद से बदतर हो चुके हैं
कहने को सरकार इसे स्मार्ट सिटी का दर्जा दिए हुए है
लेकिन आज का आलम ये है की पूरा शहर जलमग्न हो चूका है,
नगर निगम के ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह ब्लॉक होकर फेल हो चुके हैं, लगभग सारा शहर पानी की वजह से नरक जैसा दीखता है, नालियाँ जाम हो चुकी हैं, गलियों में गंदगी का अम्बार पानी में बहता हुआ देखा जा सकता है
जबकि सरकार और सरकार के कारिंदे पूरी तरह फेल और मौन दीखते हैं
किसी के पास कोई जवाब नहीं की इसका जिम्मेदार कौन?
अभी अगले 4 दिनों तक और भी बारिश के आसार की संभावना मौषम विभाग द्वारा जारी की गयी है
शहर की जनता भयंकर बीमारियों की चपेट की ओर अग्रसर दिखती है
आखिर क्या आज तक बारिश के इंतजार में लुधियाना प्रशाशन नजर लगाए बैठा था?
बारिश को लेकर सरकार और निगम की क्या तैयारियां थी?
या फिर निगम के जिम्मेदार और सरकार के प्रतिनिधि सोये हुए थे?
ये प्रश्न आम लुधियाना वासी को हर वक़्त चुभते हैं
आलम ये है की नगर के प्रमुख मार्ग टूट चुके हैं
गणेश चतुर्दशी के रथ यात्रा के दौरान टूटी सड़कों पर मिट्टी गिराया जाना नगर के जिम्मेदारों की लापरवाही की पोल खोलता दिखा, जिस पर लोग फ़िसलने को मजबूर दिखे,
प्रमुख चौराहे, सड़कें बुरी और खस्ताहाल हो चुकी हैं,
यहाँ तक की पूरी की पूरी डोगरी, अर्बन बिहार कॉलोनी जलमग्न हो चुकी है,
अभी तो ये बारिश के दौरान की तस्वीर है,
बारिश के बाद आने वाली धूप सारे शहर के लिए
हैजा और कालरा की भी सौगात लाने वाली है
अभी हाल फिलहाल ही शहर के सारे अस्पताल मरीजों से भर चुके हैं
आगे क्या होगा ये ईश्वर जाने?
सहर के प्रमुख मंदिर, सरकारी भवन सब के सब बाढ़ की चपेट में हैं
क्या ये वही लुधिआना है जिस पर कभी भारत के लोगों को गर्व हुआ करता था?
जहाँ भारत के विभिन्न शहरों से युवा रोजगार की तलाश में आते थे, जहाँ बड़ी बड़ी इंडस्ट्रीज हुआ करती थी
या फिर कोई नरक?
ये यक्ष प्रश्न आम लुधियानावासी को दिन रात खटक रहा है?
इन जालिम हुकूमतों और इनके भ्रस्टाचार ने आज भारत को कहाँ पहुंचा दिया है?
ये प्रश्न आज हर लुधिआना वासी के दिल का प्रश्न है
नगर का एकलौता सीनियर सिटीजन बिल्डिंग की छत आजकल जोर से टपक रही है
आखिर लोग जाएं तो कहाँ जाएं?
शहर के एक प्रमुख व्यापारी और सामाजिक कार्यकर्ता *जसपाल सिंह टाइगर* ने बताया की " सारा शहर जलमग्न हो चूका है, गलियां, चौराहे, मंदिर, चौक, अस्पताल सभी की हालत एक जैसी है,
अगर सरकारों ने जल्द कुछ नहीं किया तो सारा शहर भयंकर महामारी की चपेट में आ जायेगा, और जनता सड़कों पर होगी,
उन्होने केंद्र और राज्य की सरकारों को चेतावनी देते हुए चेताया की यथाशीघ्र यहाँ आपातकालीन सहायता और समस्या का समुचित निदान निकाला जाए, वरना लुधिआना की जनता बड़े आंदोलन को बाध्य होगी।"
अब सवाल ये है
क्या ये हालत किसी ईश्वर की देंन है
या फिर सत्ता में बैठे हुकूमत के दलाओं की?
अब ये देखना लाजमी होगा की केंद्र और प्रदेश की सरकारें इस समस्या से कैसे निपटती है
क्या जनता ईश्वर भरोसे मरे
या फिर इन सरकारों की लापरवाही की भेंट चढ़े
दोनों ही सिचुएशन्स में मरेगा कॉमन मैन ही
वही R K laxman का कॉमन मैन जिसके बगल में एक कौवा रहता था
जो सत्ता की पोल खोलने को काँव काँव किया करता था
लेकिन आज वो कौवा भी सत्ता के इन दलालों की मरी आत्मा देखकर मौन हों चुका है
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