मौलाना आज़ाद मेमोरियल अकादमी लखनऊ के तत्वावधान में इरम गर्ल्स डिग्री कॉलेज में देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की 137वीं जयंती (राष्ट्रीय शिक्षा दिवस) के अवसर पर “भारतीय शिक्षा के पुनर्निर्माण में मौलाना आज़ाद का योगदान एवं शिक्षित और विकसित भारत 2047” विषय पर एक महत्वपूर्ण गोष्ठी आयोजित की गई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व डीजीपी पद्मश्री प्रकाश सिंह ने कहा कि स्वतंत्र भारत के लिए मौलाना आज़ाद द्वारा रखे गए शैक्षिक आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं और नई शिक्षा नीति 2020 उन्हीं मूल्यों को आधुनिक रूप देने का प्रयास है।
उन्होंने कहा, “हमें कैसा विकसित भारत चाहिए — केवल आर्थिक रूप से शक्तिशाली या नैतिक, सामाजिक और मानवीय मूल्यों से परिपूर्ण भारत?”
प्रो. शाफ़ी क़िदवई (चेयरमैन, सर सैयद अकादमी, एएमयू अलीगढ़) ने कहा कि नई शिक्षा नीति मौलाना आज़ाद के शैक्षिक दर्शन से प्रेरणा लेती है। मौलाना ने मातृभाषा में शिक्षा, सहिष्णुता और मानवता के विकास पर बल दिया था।
मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा कि मौलाना की दूरदर्शिता से आज भारत विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी स्थान पर है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. क़मर रहमान ने की। उन्होंने कहा कि मौलाना ने महिलाओं की शिक्षा और उत्थान पर विशेष ज़ोर दिया था।
इस अवसर पर अकादमी की तीन पुस्तकों का लोकार्पण हुआ।
नियोजन डॉ. अब्दुल कुद्दूस हाशमी ने किया तथा स्वागत शारिक अलवी ने किया।
आभार ख्वाजा फैज़ी यूनुस ने व्यक्त किया।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्राएं एवं शहर के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे
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