एफएसएल की रिपोर्ट के बिना विवेचक ने लगाई थी जल्दीबाजी में फॉल्स चार्जशीट
वादी और विवेचक की साठगांठ का उच्च न्यायालय में हुआ खुलासा
Sharp Media संवाददाता आलोक तिवारी
मथुरा। जानकीबाई गर्ल्स इंटर कॉलेज मथुरा के प्रबंधक ( अधिवक्ता) कुमार कृष्ण अरोड़ा ने विद्यालय के वरिष्ठ लिपिक अक्षय भारद्वाज के खिलाफ अपर मुख्य न्यायाधीश प्रथम से एक तरफा आदेश कराकर थाना कोतवाली मथुरा में मुकदमा अपराध संख्या 317 वर्ष 2025 अंतर्गत धारा 61 (2) 338 336( 3)340 (2) 318 (4 ) बीएन एस के तहत थाना कोतवाली मथुरा में दर्ज कराया ।
उक्त प्रकरण पर कुमार कृष्ण अरोड़ा ने निचली अदालत से उच्च न्यायालय की सिविल रिट याचिका में पारित आदेश ओर जिला विद्यालय निरीक्षा मथुरा द्वारा पारित आदेश को भी छुपाया
उक्त प्रकरण पर प्रबंधक की शिकायत पर तत्कालीन सी ओ (नगर ) मथुरा द्वारा कप्तान के आदेश पर जांच कराई गई जिसमें किसी भी प्रपत्र को कूटरचित नहीं पाया गया था यदि वास्तव में कूट रचित होते तो पुलिस रिपोर्ट स्वयं दर्ज करती। चूंकि विद्यालय प्रबंधक मथुरा में अधिवक्ता भी है तो उन्होने अदालत के आदेश पर उक्त मुकदमा अपने अधिवक्ता होने का फायदा उठाते हुए दर्ज कराया । उक्त मुकदमा झूठे ओर बनावटी और मेलजोल से विद्यालय के वरिष्ठ लिपिक को हानि पहुंचाने के उद्देश्य से कराया। मुकदमा दर्ज होने की जानकारी होने पर अक्षय भारद्वाज ने असल तथ्यों को न्यायालय के समक्ष रखते हुए जिला जज की अदालत में रिवीजन किया जो आज भी पेंडिंग है।
अदालत के आदेश पर दर्ज मुकदमा में पूर्व विवेचक द्वारा के के अरोड़ा के कहने पर आरोप पत्र नहीं लगाया तो के के अरोड़ा ने अपने अधिवक्ता होने का फायदा उठाते हुए अदालत में विवेचक बदलने का प्रार्थना पत्र देते हुए विवेचना चौकी प्रभारी बंगाली घाट को दिलबा बिना साक्ष्यों को संकलित किए आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत करा दिया । पीड़ित लिपिक अक्षय भारद्वाज ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद में रिट याचिका दायर की ।
न्याय कक्ष 75 के न्यायमूर्ति संजय कुमार पचौरी ने अक्षय भारद्वाज और प्रबंधक के के अरोड़ा के अधिवक्ताओं को सुनने के बाद अक्षय भारद्वाज के अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत तथ्यों विद्यालय की प्रबंध समिति के प्रबंधक द्वारा दिनांक 16.5.2025 को झूठे और तुच्छ आरोपों के आधार पर, गुप्त उद्देश्य से और केवल आवेदक को परेशान करने के उद्देश्य से प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। आवेदक के विरुद्ध कथित अपराध के संबंध में कोई समन-पूर्व साक्ष्य उपलब्ध नहीं है। विवेचक ने आरोप-पत्र प्रस्तुत करने से पहले कोई एफएसएल रिपोर्ट एकत्र नहीं की गई है इस न्यायालय के अगले आदेश तक आवेदक के विरुद्ध उपरोक्त मामले की आगे की कार्यवाही स्थगित कर दी
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