लखनऊ-भाजपा नेता प्रदीप कुमार शुक्ला उर्फ टिंकू शुक्ला की पार्षदी कोर्ट ने रद्द कर दी

लखनऊ में शपथ पत्र में गलत जानकारी देने के मामले में भाजपा नेता प्रदीप कुमार शुक्ला उर्फ टिंकू शुक्ला की पार्षदी रद्द कर दी गई है। न्यायालय ने इसे गंभीर अनियमितता मानते हुए नगर निगम के वार्ड संख्या-73 फैजुल्लागंज (तृतीय) से उनका निर्वाचन निरस्त कर दिया। कोर्ट ने रनर-अप रहे समाजवादी पार्टी प्रत्याशी ललित किशोर तिवारी को पार्षद घोषित किया है।

नगर निकाय चुनाव-2023 में वार्ड-73 से भाजपा प्रत्याशी प्रदीप कुमार शुक्ला और सपा प्रत्याशी ललित तिवारी के बीच सीधा मुकाबला हुआ था। मतगणना में प्रदीप शुक्ला को 4972 वोट मिले थे, जबकि ललित तिवारी को 3298 मत प्राप्त हुए थे। अधिक मतों के आधार पर प्रदीप कुमार शुक्ला को निर्वाचित घोषित किया गया था।

चुनाव परिणाम को दी गई थी चुनौती

चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद सपा प्रत्याशी ललित तिवारी ने न्यायालय में चुनाव याचिका दाखिल की। याचिका में आरोप लगाया गया कि भाजपा प्रत्याशी ने नामांकन पत्र दाखिल करते समय निर्वाचन शपथ पत्र में कुछ आवश्यक और अनिवार्य जानकारियां नहीं दीं और कुछ तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया।

याचिका में कहा गया कि यह चूक चुनावी नियमों का उल्लंघन है और इसे कदाचार की श्रेणी में माना जाना चाहिए। इसी आधार पर निर्वाचन को रद्द करने की मांग की गई थी।

कोर्ट का अहम फैसला

मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने उपलब्ध दस्तावेजों, तथ्यों और दोनों पक्षों की दलीलों का अवलोकन किया। कोर्ट ने पाया कि नामांकन के समय आवश्यक जानकारी न देना एक गंभीर अनियमितता है, जिससे चुनाव की वैधता प्रभावित होती है। इसी आधार पर अदालत ने प्रदीप कुमार शुक्ला का निर्वाचन रद्द करते हुए ललित किशोर तिवारी को वार्ड-73 से निर्वाचित पार्षद घोषित कर दिया।

प्रदीप बोले– आदेश को रिकॉल करूंगा

प्रदीप कुमार शुक्ला ने कहा कि वे न्यायालय के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा, “मैं इस आदेश को रिकॉल कराने के लिए दोबारा कोर्ट जाऊंगा। मेरे पास सभी कानूनी विकल्प खुले हैं।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि निचली अदालत से राहत नहीं मिली तो वे इस फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। “मुझे न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है और मेरा पक्ष तथ्यों के आधार पर मजबूत है।”

ललित बोले– सत्य की जीत हुई

नवनिर्वाचित पार्षद ललित किशोर तिवारी ने कहा कि यह न्याय और सत्य की जीत है। उन्होंने कहा कि मुकदमे में भले ही समय लगा, लेकिन पूरी प्रक्रिया तथ्यों पर आधारित थी। “हमने लंबे समय तक न्यायालय में संघर्ष किया और आज हमें न्याय मिला है।”

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