Personal Liberty(व्यक्तिगत स्वतंत्रता)


 Personal Liberty(व्यक्तिगत स्वतंत्रता)  सहम सी गई है न्याय करने की ख्वाहिशें शायद ज़रूरतों ने उँची उड़ानों के सपने बुनने शुरू कर दिये है। कुछेक खास घटनाओं को उद्धृत करने की कोशिश करता हूँ; जो निम्नवत् हैं:-

1. यदि आप अभिनव भारत का गठन कर 2006 से बम धमाकों से देश दहलाने की क्षमताओं से पारंगत हैं तो आपका जमानत पर विशेषाधिकार है। 22 अगस्त 2017 को कर्नल श्रीकांत पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट से जमानत परन्तु वयोवृद्ध वरवर राव जो कि बिस्तर पर मल-मूत्र त्याग  रहे हो उनके जमानत की सुनवाई की तारीख भी निश्चित नही हो सकती!

2. आतंकवाद की पर्याय प्रज्ञा ठाकुर संसद पहुंच सकती हैं,देश की आन-बान-शान महान विभूतियों को कोई भी गाली बक सकती हैं,आदरणीय हैं परन्तु समाज के कमजोर तबके को उनके अधिकारों से परिचित कराने का प्रयास करने वाली गौरी लंकेश गोलियों से भून दी जाती है और प्रत्यय मिलता है कुतिया का।

3. प्रकरण: लालू प्रसाद यादव,CBI जाँच अधिकारी: ए के  विश्वास, दोषी:- वित्त आयुक्त: फूल सिंह कुर्मी, बेक जूलियस ST, के अरूमुगन और महेश प्रसाद SC। मुख्यमंत्री दोषी परन्तु मुख्य सचिव  सजल चक्रवर्ती और विभागीय हेड ऑफ डिपार्टमेन्ट आर एस दुबे दोषमुक्त घोटालेबाज जगन्नाथ मिश्र साफ-पाक।

4.JNU, जामिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के दंगाई आजाद और पीटे गये छात्र दोषी।

5.अर्बन नक्सली अर्नब गोस्वामी जो रात-दिन रेबीज का वायरस फैला रहा है, CBI की जाँच प्रभावित करने के लिए आये दिन कुतर्क करता रहा उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता महत्वपूर्ण कैसे? परन्तु कप्पन सिद्दीक, प्रशान्त कन्नौजिया की personal liberty के कोई मायने नही! 

सुप्रीम कोर्ट का कहना कि यदि किसी को अर्नब की पत्रकारिता पसंद नही उसका चैनल न देखें; यही बात तो सभी पत्रकारों पर लागू होती है कि यदि सुप्रिया पाठक, प्रशान्त कन्नौजिया, सिद्दीक कप्पन, विनोद दुआ,पवन जायसवाल,आदि की पत्रकारिता पसंद नही है तो न देखें फिर इन सब पर देशद्रोह के मुकदमे क्यों?

6. क्या अर्नब पत्रकारिता करने के अपराध में जेल में थे? नहीं; उनके ऊपर हत्या यानी आत्म-हत्या के लिए मजबूर करने एक तरह से परोक्ष रूप से हत्या ही कहा जाएगा का आरोप ही नही समस्त साक्ष मौजूद है के आरोप में गिरफ्तार हुए थे, फिर सुप्रीम कोर्ट ने इसे personal liberty की संज्ञा क्यों दी, क्या भाजपा समर्थक होने भर से किसी की हत्या करने का अधिकार मिल जाता है और कानूनन वह personal liberty के दायरे में आ जाता है?

*गौतम राणे सागर*, 

राष्ट्रीय संयोजक, 

संविधान संरक्षण मंच।

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