मालो दौलत शोहरत और पावर को छोड़कर हक की तरफ कदम बढ़ाने को बहादुरी कहते हैं -मौलाना सै0 हैदर मेहदी

 


मालो दौलत शोहरत और पावर को छोड़कर हक की तरफ कदम बढ़ाने को बहादुरी कहते हैं -मौलाना सै0 हैदर मेहदी

आयत हर दौर में अपने टारगेट को ढूंढती है ,अपने को ऐसा बा किर्दार बनाओ कि आयत के मिस्दाक़ बन जाओ

दीनी मुसतक़्बिल को नज़र में रखकर अपने बच्चों को कामयाब  बनाओ

कर्बला में दुनियां का सूरज बाद में नज़र आया ,हुर के मुक़द्दर का सूरज पहले उभर कर सामने आया

बाराबंकी। कर्बला में दुनियां का सूरज बाद में नज़र आया ,हुर के मुक़द्दर का सूरज पहले उभर कर सामने आया ।दीनी मुसतक़्बिल को नज़र में रखकर अपने बच्चों को कामयाब  बनाओ ।आयत हर दौर में अपने टारगेट को ढूंढती है ,अपने को ऐसा बा किर्दार बनाओ कि आयत के मिस्दाक़ बन जाओ ।यह बात मौलाना गुलाम अस्करी हाल में मरहूम सै0 नजमुल  हसन रिज़वी  इब्ने सै0 शब्बर हुसैन रिज़वी मरहूम की  मजलिस को खिताब करते हुये मौलाना सै0 हैदर महदी साहब ने कही ।उन्होंने यह भी कहा कि मालो दौलत शोहरत और पावर को छोड़कर हक की तरफ कदम बढ़ाने को बहादुरी कहते हैं ।दुनियां में हर इन्सान घाटा उठाने वाला है सिवाय उसके जो हक़ की वसीयत करे और सब्र की तलक़ीन करे ।आखिर में करबला वालों के मसायाब  पढ़े जिसे सुनकर सभी रो पड़े। मजलिस से पहले डा 0 रज़ा मौरान्वी नेअपना बेहतरीन कलाम पेश करते हुए पढ़ा- यूं तो हर रोज पढ़ा करते हैं क़ुरआने करीम, गौर जब उसपे किया शह का कसीदा निकला  ।हमने औलादे नबी को भी बहकते देखा,हुर मुबारक तुझे बेटा तेरे जैसा निकला ।कशिश सन्डीलवी ने भी अपना बेहतरीन कलाम पेश करते हुए पढ़ा - गमों में डूबकर पढिये अजब फ़साना है कि साज़गारे वफा कब यहां  ज़माना है ।सुहेल बस्तवी ने भी बेहतरीन कलाम पेश करते हुए पढ़ा-होता है एखलाक  से ही आदमीयत का वजूद,और उस एखलाक के तुम आईना नजमुल हसन।बाक़र नक़वी ने बेहतरीन निज़ामत के साथ कलाम पेश किया ।मुझको दौलत न कोई दिरहमों दीनार मिले, बस ज़माने में गमे सय्यदे अबरार मिले । अज़्मी बाराबंकवी ने अपने बेहतरीन अन्दाज़ में कलाम पेश करते हुए पढ़ा-एक गुलामे हैदरे कर्रार थे नजमुल हसन,वाकई में खुल्द के हक़दार थे नजमुल हसन।हाजी सरवर अली कर्बलाई ने अपना कलाम पेश करते हुए पढ़ा-उसको वजूद ए दीन ए रसूल ए खुदा कहो , बाक़ी  है  जिससे   दीन  उसे करबला कहो ।दानिश रिज़वी व बच्चों ने भी नज़रानए  अक़ीदत पेश किया। मजलिस का आगाज़ तिलावते कलामे पाक सदानीश रिज़वी ने किया।बानिये मजलिस ने सभी का शुक्रिया अदा किया।


मुजाहिद कत्ल हो के भी मुस्कुराता है ज़ालिम कत्ल करके भी  पछ्ताता है- मौ0 इब्ने अब्बास 

अपने को रिज़ाए परवर दिगार में ऐसा ढालो कि मरो तो अल्लाह के लिये जियो तो अल्लाह के लिये

वही अली का चाहने वाला बन पाता है जो किरदारे अली अपनाता है

रज़ाए खुदा पर जो सर काटता या कटवाता है वही सच्चा मुजाहिद कहलाता है
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बाराबंकी। दुश्मन भी जिसका क़सीदा पढ़े उसे अली कहते है । रज़ाए खुदा पर जो सर काटता या कटवाता है वही सच्चा मुजाहिद कहलाता है । वही अली का चाहने वाला बन पाता है जो किरदारे अली अपनाता है । यह बात अज़ाखाना मरहूम कल्बे अब्बास (मुन्ने टेलर) में मज्लिसे तरहीम बराए इसाले सवाब मरहूम जाफ़र अब्बास  इब्ने कल्बे अब्बास मरहूम को खिताब करते हुए मौलाना इब्ने अब्बास ने कही ।उन्होने यह भी कहा कि अपने को रिज़ाए परवर दिगार में ऐसा ढालो कि मरो तो अल्लाह के लिये जियो तो अल्लाह के लिये ।मुजाहिद कत्ल हो के भी मुस्कुराता है ज़ालिम कत्ल करके भी  पछ्ताता है बल्कि यूं कहूँ कि  शर्मशार नज़र आता है । रूहे इबादत  क़ुरबतन इलल्लाह है यानी हर काम अल्लाह की रिज़ा के लिये करना ही इबादत है। इस्लाम में जेहाद का नाम भी इबादत है , ताक़त का नाम  जेहाद नहीं। राजाओं और बादशाहों के यहां कत्ल का नाम  जेहाद होगा इस्लाम में  बेगुनाहों के कत्ल को आतंकवाद कहते है जेहाद नहीं ।बादे मजलिस कर्बला वालों के मसायब पेश किये जिसे सुनकर सभी रोने लगे । मजलिस से पहले डा 0रज़ा मौरान्वीने पढ़ा- हमेशा अपने बुजुर्गों का  एहतेराम करो ,सलाम वो न करें तुम उन्हें सलाम करो ।इसके अलावा कशिश सन्डीलवीने पढ़ा - ये पूंछ लेना समंदर की बात से पहले,कि कौन प्यासा गया है फरात से पहले , अजमल किन्तूरी ने पढ़ा-अज्रे मुरसल तो अदा करने के हक़दार बनों, जेहन से दिल से अमल से भी वफादार बनों।फिर तो हसनैन की जन्नत भी मिलेगी तुमको , पहले बोहलोल की जन्नत के खरीदार बनों।मुज़फ्फ़र इमाम ने पढ़ा- इश्क़े हैदर की उसने दौलत दी ,अपनी मां को सलाम करता हूं । हाजी सरवर अली कर्बलाई ने पढ़ा -किरदार को संवार लो कुछ वख़्त है अभी, गै़बत  में  जब  तलक  के  हमारा इमाम है । फ़ितने को छोड़कर करो आपस में इत्तेहाद, क्या जानते नहीं कि ये फ़ेले हराम है ।कुमैल किन्तूरी ने  निज़ामत करते हुये पढ़ा- पढ़ो अल्हम्द या फिर सूरए रहमान अच्छा है।खुदा की हम्द करने के लिये क़ुरआन अच्छा है ।इसके अलावा अली गंगोलवी, ज़ाकिर इमाम , नजफ़ी ,अली अब्बास व हसन सल्लमहू ने भी नज़रानये अक़ीदत पेश की।बानिये मजलिस ने सभी का शुक्रिया अदा किया ।

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