"सम्माननीय अध्यक्ष"/ आयोग"
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
सेव लाइफ" "सेव ह्यूमन राइट्स"
मानवाधिकार की रक्षा एवं फांसी की सजा एक साथ कैसे? मानव का सबसे बड़ा अधिकार उसका जीवन' प्राण"है।
मदिरालय एवं मानवाधिकार एक साथ नहीं रह सकते।
हिंदू मुस्लिम नफरत एवं मानवाधिकार एक साथ कैसे ?
गोरखपुर का सोमालिया" 'गरीब आसरा आवास"
"सम्माननीय अध्यक्ष"/ आयोग"
हजारों लाखों की थाली खाने वाले होटलो में बर्तन धोने वाले जिसमें ज्यादातर बच्चे हैं ,उनके हाथ पैर की उंगलियां सड़ी होती है। छोड़न"खातें हैं 80 करोड लोग 5 किलो अनाज में जीवन की तलाश कर रहे हैं। मंदिरों"उसने रखी मूर्तियों एवं घी के जलते लाखों दीपक के सामने ही भिखारी पेट के लिए भीख मांगतें है जिसमे बच्चे एवं महिलाओं की संख्या अधिक है। इनकी तरकारी तेल में नहीं पानी में बनती है रोटी," दाल से नहीं पानी नमक से खाते हैं। प्रेसिडेंट 300 कमरे युक्त अंग्रेजी वायसराय हाउस जिसे अब राष्ट्रपति भवन कहा जाता है रहते है ।अंबानी का मुंबई स्थित एंटीलिया' भवन 15 हज़ार करोड़ का है दूसरी ओर 40 करोड लोग घास फूस मिट्टी बरसाती के घरों में रहते हैं । पक्के मकान में रहने वालों की औसत संख्या (एक कमरे) 5-7 है ।एक ही ट्रेन में पांच प्रतिशत यात्री सुविधाओं से युक्त यात्रा करते हैं दूसरी तरफ 95% यात्री माल गोदाम एवं भूसे की बोरी की तरह भरी यात्रा करते है। इसमें मानवाधिकार कहां है ? शिक्षित जानता है' मानवाधिकार तभी सुरक्षित रह सकता जब 'लाइफ"फ्रीडम'इक्वलिटी' फ्रेटरनिटी' सुरक्षित हो. परंतु वे ही मानवाधिकारों का कत्ल भी करते हैं।
"सम्माननीय अध्यक्ष"/ आयोग"
खाने के समान पर टैक्स" पथकर" अयोध्या में मंदिर के नीचे सोने की ईंट गाड़ना मंदिरों की चौखट बुर्ज उसमें रखी सोने की मूर्तियां लाखों का दीपक यह तो तभी संभव है जब हम मानवाधिकारों का कत्ल कर दें। क्या इसमें रत्ती भर मानवाधिकार है ।?
"सम्माननीय अध्यक्ष"/ आयोग"
जीवन मानव का सबसे बड़ा अधिकार है। फांसी की सजा रहते मानवाधिकार की रक्षा कैसे हो सकती? फांसी की सजा देने वाली सभ्य बिरादरी जानती है कि फांसी बर्बर"असभ्य" समाज का एक कैरेक्टर है। हम यह भी जानते हैं कि अपराध स्वरूप किसी को फांसी अपराध"है। कुछ समाजों में अपराध की घटनाएं नहीं है। दुनिया के अधिकांश देशों में जमीन विवाद एवं नारी बलात्कार नहीं है। बहुत सारे देशों में फांसी की सजा नहीं है।"
"सम्माननीय अध्यक्ष"/ आयोग"
जेल की सजा" मानवाधिकार की हत्या है। फ्रीडम व्यक्ति का वह मौलिक नैसर्गिक अधिकार है जो मां से जन्मना मिला है ।जब किसी को कैद खाने में डालते हैं तो सबसे पहले उसका फ्रीडम"उससे छीन लेते हैं।
"सम्माननीय अध्यक्ष"/ आयोग"
आतंकवाद" के नाम पर जीवन छीनने एवं मानवाधिकार की हत्या का खेल दुनिया में चल रहा है। वैश्विक स्तर पर 20वीं सदी के मध्य जब विश्व से साम्राज्यवाद' एवं गुलामी: समाप्त हो रही थी, परंतु दुनिया की संपत्ति'संसाधन'पर कब्जा करने के प्रयास में आतंकवाद" जानबूझकर पैदा किया गया या आज आतंकवाद के नाम पर जिस प्रकार की कार्रवाई की जाती है की जा रही है लगता ही नहीं एक मनुष्य जाति दूसरे मनुष्य जाति के साथ मनुष्यता का व्यवहार करती हो
"सम्माननीय अध्यक्ष"/ आयोग"
खाना"चलना"बोलना" मां से हासिल जन्मना ऐसा अधिकार है जिसे कोई छीन नहीं सकता।और कोई यदि ऐसा करता है तो मानवाधिकार की हत्या करता है।
"सम्माननीय अध्यक्ष"/ आयोग"
किसी प्रकार का टैक्स मौलिक अधिकार एवं ह्यूमन राइट्स की हत्या है। निजी वाहन चाहे अमीर की हो' गरीब की हो"गणमुखिया"'या जनगण' की हो टैक्स नहीं लगाया जा सकता. यह ह्यूमन राइट्स "कहीं आने जाने की स्वतंत्रता" "जिसकी गारंटी संविधान में दी गई है" की हत्या है।
"सम्माननीय अध्यक्ष"/ आयोग"
बेरोजगारी" गरीबी' महंगाई' कुपोषण जीवन की जरूरतों का अभाव" शिक्षा"चिकित्सा"न्याय"बेचना मानवाधिकारों के हनन का दूसरा नाम है।
"सम्माननीय अध्यक्ष"/ आयोग"
अंधविश्वास' पाखंड' सुपरस्टिशंस' "हिपोक्रिसी"मानवाधिकारों की हत्या की नींव पर खड़े होते हैं। मठ' मंदिर' गिरजाघर 'मस्जिद अंधविश्वास के अड्डे हैं। ये जीवन एवं मानवता का हनन करते हैं।।
"सम्माननीय अध्यक्ष"/ आयोग"
जमीन के झगड़े" बलात्कार एवं हिंसा और पुलिस की कार्यशैली? इसमें मानवाधिकार कहाँ?
"सम्माननीय अध्यक्ष"/ आयोग"
अयोध्या" मुलायम सिंह यादव गोधरा" नरेंद्र मोदी और मणिपुर में जिस प्रकार नृशंस हत्याएं एवं बलात्कार हुई उसने तो मानवाधिकारों का कलेजा ही निकाल दिया ।
प्रतिलिपि:;; महामहिम राष्ट्रपति माननीय गृह मंत्री माननीय प्रांतीय मानवाधिकार आयोग
पूर्वांचल गांधी सत्यपथ ps शाहपुर गोरखपुर
9415418263
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