"माननीय प्रधानमंत्री जी"
'एक भारत' 'एक अयोध्या' 'एक दीया' 'लाखों दिये क्यों?/?
करोड़ों बच्चों के खाने में तेल नहीं है वे कुपोषित है उनके आंखों की रोशनी कम होती जा रही है, विकलांग है। 22 जनवरी को अयोध्या में 22 लाख दीपक मत जलाइए। भारत एक है' अयोध्या एक है' राम एक है"आत्मा एक है"हम सभी एक हैं"फिर लाखों दीये क्यों? यह अवैज्ञानिक"अमनुष्यता एवं मानवाधिकार" की हत्या है।
लोग शिक्षित होते तो इस तरीके से जीवन' मनुष्यता 'एवं भारत का पतन उनकी नजरों के सामने न किया जाता। ऐसा अंधविश्वास" पाखंड" हमें वैदिक ग्रंथों उपनिषदों महाकाव्यों में नहीं मिलता।जीवन"मानवता" एवं संविधान" की रक्षा के लिए निवेदन
योगी गोरख की तपोस्थली एवं पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के शहादत शहर में सड़कों नालों गंदे स्थानों के किनारे बरसाती टिन कच्ची पक्की ईंट के आधे अधूरे टूटे-फूटे घरों में कम से कम लाख से अधिक कंगाल निर्धन जीवन बचाने की कोशिश में लगे हैं। वे शिक्षा चिकित्सा न्याय नहीं जानते।आसरा आवास जिसका आवंटन 2019 में संसदीय चुनाव के समय हुआ था जो सड़क पर रहने वाले डोम बांसफोड़ स्वीपर मेहतर आदि को आवंटित किया गया लोग गंदे सौच पेशाब के पानी में रहते हैं लगभग 300 लोगों के बीच एक हैंड पाइप है। वहां रहने वाले पीने का पानी शिक्षा चिकित्सा न्याय नहीं जानते क्या है? उपन्यास नहीं लिख रहा हूं यह सब मैं अपनी आंखों से देख रहा हूं और उनके बीच 1 जनवरी को रहता हूं मुझे यह देखा नहीं जाता परंतु मैं क्या करूं? रोज मरता हूं रोज जीता हूं।
आजादी के पूर्व तक जबकि अंग्रेजों ने इस देश का खजाना ढोकर टेम्स नदी के किनारे बसे शहर लंदन में निचोड़ दिया था परंतु जो आज मैं अपनी आंखों से देखता हूं वैसा इतिहास के पन्नों में दर्ज नहीं है। 40 साल पहले की घटनाएं मुझे याद है तब हम गरीब थे फिर भी इस प्रकार का जीवन हमने नहीं देखा। मैं मानता हूं इसके दोषी हिंद के हिंदुस्तानी लुटेरे हैं जिसमें प्रधानमंत्री मंत्री लेजिस्लेटिव मेंबर्स अधिकारी एवं पूंजीपति है।प्रधानमंत्रियों को सत्ता की भूख सताती रही ।एक बार प्रधानमंत्री बनने से पेट न भरता तो दूसरी बार तीसरी बार के लिए जीवन' मानवता' लोकतंत्र संविधान की हत्या करते रहे परंतु आप जो कुछ कर रहे हैं यकीन मानिए भारत में जीवन इंसानियत और संविधान पल-पल कमजोर हो रही है टूट रही है।
सेंट्रल लेजिसलेटिव असेंबली जिसे आज ससद कहते हैं,मैं उतना ही विश्वास रखता हूं जितना भगत सिंह अशफ़ाकउल्ला खां और गांधी रखते थे। लोकतंत्र की ऐसे मंदिर, जिसकी स्थापना अंग्रेजी वायसराय इरविन के जमाने में हुई थी, कभी न जाने का अपना संकल्प दोहराता हूं, जिसमें कुछ को छोड़कर शेष बलात्कारी व्यभिचार लुटेरे अपराधी गाली गलौज करने वाले हिंदू मुस्लिम नफरत एवं जाति का जहर घोलने वाले बैठते हैं।
प्रधानमंत्री जी" निवेदन करता हूं राम को दिल के मंदिर में रहने दीजिए और अयोध्या में लाखों दिए की जगह एक दिया जलाइए अन्यथा इस अंधविश्वास पाखंड तथा जीवन एवं संविधान की हत्या के विरुद्ध गोरखपुर के सोमालिया, आसरा आवास,में 22 जनवरी को गांधी अंबेडकर की तलाश करूंगा
कॉपी: महामहिम राष्ट्रपति माननीय अध्यक्ष राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश महामहिमा राज्यपाल उत्तर प्रदेश श्रीमान आयुक्त जिलाधिकारी एसपी गोरखपुर।
पूर्वांचल गांधी सत्यपथ ps शाहपुर गोरखपुर
9415418263
Sent from Yahoo Mail on Android
0 टिप्पणियाँ