भारत के महान मजदूर एवं किसानों को गणतंत्र दिवस पर बंदन एवं शुभकामनाएं जिनके कारण हम जीवित हैं और जीवन की सुविधाएं भोग रहे हैं'

गणतंत्र दिवस 2024
"महामहिम गणमुखिया महोदया" 
 गणतंत्र दिवस"की हार्दिक शुभकामनाएं"

'भारत के महान मजदूर एवं किसानों को गणतंत्र दिवस पर बंदन एवं शुभकामनाएं जिनके कारण हम जीवित हैं और जीवन की सुविधाएं भोग रहे हैं'

निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स समाप्त कर कहीं आने-जाने की हमारे स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार हमें वापस करिए आटा चावल गेहूं दाल तेल चीनी पर जीएसटी समाप्त कर हमारे जीवन की हिफाजत करिए शिक्षा चिकित्सा न्याय और रेल संचार फ्री कर हमारे जीवन के उन अधिकारों को जिसके बिना जीवन असंभव है,रक्षा करिए'

गणतंत्र के 74 वर्ष गुजर चुके हैं उपलब्धियां एवं नाकामियां दोनों हमारे सामने हैं। 142 करोड लोगों में 80 करोड़ 5 किलो अनाज में अपने जीवन की रोशनी खोज रहे हैं 22 करोड़ कुपोषित है जिसमें 60% बच्चे हैं वे पानी में बनी तरकारी एवं बिना दाल' रोटी-पानी"खाने पर मजबूर है। दूसरी तरफ 12 लाख करोड़ 10 लाख करोड़ के मालिक भी है।मुट्ठीभर लुटेरे' अपराधी''बलात्कारी' नफरती ठीक उसी प्रकार हमारा जीना दूभर कर दिए हैं जैसे  मुट्ठी भर अंग्रेजी लुटेरों ने कर दिया था। आटा चावल गेहूं दाल तेल चीनी दवा जिसके बिना हम जीवित नहीं रह सकते जो प्राण"से अभिन्न है जीएसटी लगा दिया। हमारी निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स लगाया। शिक्षा चिकित्सा न्याय जिसके बिना हम शिक्षा चिकित्सा न्याय से वंचित है ,बाजार के हवाले कर दिया। हमें एक्सप्रेसवे' इंटरनेशनल एयरपोर्ट'थमा दिया 102 करोड़ गरीब' कुपोषित इसे लेकर क्या करेंगे? हमारी पैसेंजर एवं मेल एक्सप्रेस गाड़ियां हमसे छीन कर महंगी दर पर चलने वाली बंदे भारत दे दिया।। विधायिका"कार्यपालिका"सदस्यों ने" गणतंत्र के 74 बसंत' में हमें बेरोजगारी' 'गरीबी' विषमता' महंगाई 'अपराध' लूट' बलात्कार' हिंदू  मुस्लिम नफरत'जातीय जहर' अंधविश्वास' पाखंड'में धकेल दिया।
डेमोक्रेसी' गणतंत्र' प्रधानमंत्री की  दास बन चुकी है। जिस प्रकार वायसराय इरविन ने लैंड रिवेन्यू'रूप में लोगों की चमड़ी उधेड़कर लूटे गए पैसे (लूट शब्द का इस्तेमाल दादा भाई नौरोजी) से  इंपीरियल लेजिस्लेटिव असेंबली (संसद )का निर्माण कराया था उसी प्रकार लोगों के पेट'पीठ' पर लात बजाकर वसूले गए जीएसटी से प्रधानमंत्री ने सेंट्रल विस्टा का निर्माण कराया । स्पीकर' उपराष्ट्रपति' राष्ट्रपति' अपने पसंद का बनाया ।विपक्षी सदस्यों को सदन से टर्मिनेट कर दिया।' प्रधानमंत्री ने डेमोक्रेसी' रिपब्लिकन' कॉन्स्टिट्यूशन' को डैमेज किया है ।प्रत्येक नागरिक को अपनी इच्छानुसार रिलिजन स्वीकार करने का मौलिक अधिकार है एवं राज्य का समान संरक्षण हासिल है परंतु धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार(25 से 28) इस बात की अनुमति नहीं देता कि देश का प्रधानमंत्री जिसका खर्च सार्वजनिक धन पर भारित है मंदिर मस्जिद शिलान्यास करेगा पत्थर की मूर्तियों में प्राण डालने का अंधविश्वास एवं पाखंड फैलाएगा"।संविधान के मौलिक कर्तव्य(IVA 51 f) में "टू डेवलप साइंटिफिक टेंपर" का उल्लेख है। परंतु नागरिकों के लिए यह  बाध्यकारी नहीं है ।इसका अर्थ यह नहीं है कि इस देश के प्रधानमंत्री सार्वजनिक तौर पर अंधविश्वास" पाखंड फैलाएंगे ज्ञान विज्ञान' दफन की कीमत पर।
गढ़मुक्तिया महोदया"
लोकतंत्र' गणतंत्र' संविधान' हमें वापस दे दीजिए क्योंकि यह हमारे पूर्वजों के कुर्बानी का परिणाम है। जब एक पैर पर आदमी नहीं चल सकता तब विपक्ष रहित लंगड़ा लोकतंत्र कैसे चल सकता? ऐसी लंगड़ी लाचार लोकतंत्र,जो संख्याबल"की दास है, जिसको प्रधानमंत्री हाथ पकड़ कर चला रहे हैं, क्या करेंगे ? मतपत्र" द्वारा निष्पक्ष चुनाव कराकर लोकतंत्र गणतंत्र संविधान पुनर्स्थापित करिए। 

डॉ  ज़संपूर्णानंद  मल्ल     पूर्वांचल गांधी     सत्यपथ
9415418263

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ