महिला और दलित उत्तपीड़न के फर्जी मामलों पर कड़ा प्रहार

नवल जी,राज्य में पुलिस के तमगा अधिकारियों के बिना मेरुदंड की चढ़ती कार्यशैली,दलित उत्पीड़न और महिला उत्तपीड़न के बढ़ते फर्जी मामले निजी रंजिश और वसूली के का चढ़ता दायरा एक बड़ा वर्ग गांवों से पलायन कर रहा। जमीनों पर कब्जे किये जा रहे,कोई मना करता है तो उक्त उत्तपीड़न की कार्यवाही। मजे की बात तो यह है कि यह काम सरकार प्रायोजित है। मुकदमा लिखवाओ तुरंत लाखों धनराशि का टॉनिक पाओ। बैमनस्यता सरकार करा रही। आरक्षी से लेकर प्रधानमंत्री तक को पता है कि इन कानूनों का जमकर दुरुपयोग हो रहा है पर मामला आते ही करेंट कार्यवाही सुरु हो जाती है। मामले में विवेचन शून्य कर हर कोई आरोपी को अपराधी बनाने पर सरपट हो जाता है। 164 का बयान वेद वाक्य मानकर कार्यवाही आगे बढ़ा दी जाती है। संयुक्त राष्ट्र संघ में 5 देशों के पास वीटो अधिकार हैं भारत मे 2 को,महिला और अनुसूचित जाति के पास। 164 के बयानों के बाद विवेचन शून्य क्यों हो जाता है। 
*मीडिया,इसको तो पूंछों नही*। हरिश्चन्द्र की तरह गुनाह रहित होकर झूठे गुनाहों के लिए उसे फांसी दो,मुकदमा लिखो जेल भेजो,पीड़िता,महाभारत सरीखे भगवान कृष्ण के नीति वचन आरम्भ हो जाते है। 
विचार शून्य हो जाता है हम समाज को कृतिम झूठी अराजकता क्यों दे रहे हैं। *मैं सीतापुर के पुलिस अधीक्षक से कभी नही मिला,कभी वार्ता भी नही हुई पर कुछ उदाहरण उनके प्रत्यक्ष हुए हैं। शीर्ष अधिकारियों के निर्देश पर उन्होंने विपरीत प्रतिक्रिया दी है और बताया है कि मामला झूठा है। कार्यवाही नही की जा
सकती। ये आदर्श उदाहरण उनके प्रत्यक्ष हैं। मैंने प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री को सीतापुर के शानदार प्रयास संज्ञान में दिए हैं। उन्होंने प्रयास पर सराहना दी है*। *
ग़ाज़ियाबाद* में झूठे रेप लिखवाने वाली महिला के खिलाफ कार्यवाही हुई है। 
कल के विषय पर *उन्नाव पुलिस का* कार्य आचरण सराहना प्राप्ति पर ज्येष्ठ  है। 
*पुलिस को निर्देश होने चाहिए झूठे मामलों में विपरीत कार्यवाही होनी चाहिए*। ऐसे मामलों का दमन पुलिस को प्रशंसा मिलेगी। न्याय की आस पुलिस होती है किसी निर्दोष को दलित उत्तपीड़न महिला उत्तपीड़न के झूठे मामलों में कार्यवाही या पैसा खर्च कराने से उसके बच्चों के निवाले से हिस्सा कटता है। बच्चों के भविष्य की गति मंद हो जाती है।पुरा परिवार वेवश और लाचार हो जाता है। पुलिस,प्रशासन,न्यायपालिका,आयोग और सरकार के लोग शैक्षिक परिस्थिति से समृद्ध होते हैं। उनके अभिभावकों ने एक जिम्मेदार संतान की उत्त्पत्ति समाज को दी है। श्रेष्ठ होने के कारण सरकार ने उन्हें अंगीकृत किया है। आवश्यक नही कि उनके बच्चे सरकार की पंक्ति का हिस्सा बने। आजका माहौल  कल उनके लिए बाध्यकारी होगा। कल्पना कीजिये कल झूठे मामले में जब आपका बच्चा दंडित होगा तो आप कैसा अपने को पाएंगे। दोषी आप होंगे क्योंकि आजका दायित्व आपका है,जिसपर आपको बोध निर्णय लेना है--सुजीत सिंह, लेखक/पत्रकार

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ