अंजुमन ज़ुल्फ़िकार-ए-हैदरी बदायूँ की सालाना मजलिस-ए-आज़ा और शबे-दारी

बदायूँ, 21 सफर 2025 को अंजुमन ज़ुल्फ़िकार-ए-हैदरी बदायूँ ने अपनी सालाना मजलिस-ए-आज़ा और शबे-दारी का आयोजन "इकराम मंजिल" बदायूँ में किया। इस मजलिस में अज़ादारों की भारी तादाद ने शिरकत की, जिनमें न केवल बदायूँ बल्कि दूर-दराज से भी लोग आए।
इस अवसर पर अंजुमन हाशमी एकरोटिया सादात, सम्भल के मेहमान भी शामिल हुए और अपने क़लाम और दर्द भरे नौहे पढ़े, जिनसे सभी के दिल भर आए और अज़ादारों की आँखों से आंसू छलक पड़े।
मजलिस को ख़िताब करते हुए **मौलाना नवेद अब्बास काज़मी** साहब (मुज़फ़्फ़रनगर) ने इमाम हुसैन (अ.स.) के चेहल्लम पर रोशनी डाली। उन्होंने बताया कि जनाबे ज़ैनब (स.अ.) ने किस तरह अपने भाई इमाम हुसैन (अ.स.) का चेहल्लम मनाया और उनकी शहादत के बाद के घटनाओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने अहले-बैत (अ.स.) के उच्चतम वाक़ात और उनके संघर्षों को याद किया।

अंजुमन ज़ुल्फ़िकार-ए-हैदरी ने भी अपना क़लाम और नौहे भी पेश किए गए। कैफ़ी ज़ैदी ने अपने दिल को छूने वाले नौहा पढ़ा, जिससे माहौल ग़मगीन हो गया। ग़ुलाम अब्बास राजू ने भी अपने क़लाम से मजलिस को रूहानी बना दिया।

मजलिस के अंत में अंजुमन ज़ुल्फ़िकार-ए-हैदरी के सदर **मोहमिन अब्बास** ने सभी अज़ादारों का धन्यवाद किया और मेहमान अंजुमन को तबर्रुक के रूप में तोहफा दिया। इसके साथ ही, सभी अज़ादारों ने पुर्सा (शोक-संवेदना) पेश की

मजलिस में **मोहमिन अब्बास, हसन अरज़ू, इकरार अहमद, क़ासिम अब्बास, आमिर अब्बास अबीदी, ज़ाहिन हैदर, और ज़ैन, साइब** तमाम अज़ादारो ने शिरकत की और जनाबे ज़ैनब (स.अ.) के ग़म में अपना शोक व्यक्त किया।

यह मजलिस बदायूँ के अज़ादारों के लिए एक यादगार मौका साबित हुई, जहाँ हर दिल अज़ादारी और श्रद्धा में डूबा हुआ था।

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