अरविंद अकेला के भोजपुरी काव्य संग्रह 'ॲंजुरी भरि गीत' का हुआ लोकार्पण

अरविंद अकेला के भोजपुरी काव्य संग्रह 'ॲंजुरी भरि गीत' का हुआ लोकार्पण* 

 *भोजपुरी के दुर्लभ शब्दों को अपनी गीतों में कवि ने स्थापित किया* 

 *भावों को गहराई से स्पर्श करती हैं अकेला की कवितायें : डॉ आद्या प्रसाद द्विवेदी* 

 गोरखपुर* ।
भोजपुरी संगम के तत्वावधान में 
रविवार को पादरी बाजार स्थित हनुमन्त कालोनी के मैरी गोल्ड लान में कवि अरविंद 'अकेला' के
भोजपुरी काव्य संग्रह 'अंजुरी भरि गीत' का लोकार्पण समारोह पूर्वक सम्पन्न हुआ।
मुख्य अतिथि चन्देश्वर 'परवाना' ने कहा कि पहलवानी काया के अन्दर एक सुकोमल गीतकार का मिलना सुखद आश्चर्य है। इनके गीतों में ठेठ भोजपुरी के सुन्दर व समर्थी शब्दों को मजबूती से स्थापित किया गया है। भोजपुरी की विविध विधाओं में 'अकेला' की सार्थक दखल इनके गायक व्यक्तित्व को भी उजागर करती है। विशिष्ट अतिथि आर. के. भट्ट 'बावरा' ने कहा कि 'अकेला' की रचनाएं प्रेम एवं संवेदना की गहराई में डूबकर, गहरी भावुक एवं आत्मिक प्रस्तु‌तियाँ है जो अपनी प्रौढ़ावस्था के साथ विद्यमान है। कवि एवं पत्रकार हृदयानन्द शर्मा ने कहा कि प्रस्तुत पुस्तक समाज की विभिन्न विसंगतियों पर सबल प्रहार करती हुई सराहनीय रचनाओं का संकलन है। त्रिलोकी त्रिपाठी 'चेचरीक' ने कहा कि अकेला की कविताएँ आत्मा से निकली हुई आवाज़ हैं। कविताओं के सुन्दर संकलन हेतु 'अकेला' व उनके रचनात्मक निरंतरता की मंगल कामना। केहू के दु:ख नाहीं पहुंचे, तहरे बोली से बिटिया धीरे से उत्तरिह तू डोली से ..। का वाचन अन्तर्राष्ट्रीय गायक आर.डी.शर्मा ने सुन्दर एवं सुरीले स्वर में किया। पिया परदेसे भेजें चिट्ठियो न पानी राम कैसे-कैसे कहीं, सही केही भाँती राम : युवा कवि अश्विनी  द्विवेदी ने 'अकेला' के इस गीत का संजीदा गायन प्रस्तुत कर माहौल को भावुक किया। रामकोला से पधारे ज्ञान वर्धन गोविन्द राव ने भोजपुरी को समर्पित ऐसे कार्यक्रमों की बार-बार पुनरावृतिहोने की सिफारिश की। भोजपुरी के ऐसे एकाधिकृत शब्दों की ओर सबका ध्यान आकृष्ट किया। जिनका हिन्दी व अन्य भाषाओं में सटीक विकल्प नहीं मिल पाता है।अध्यक्षता कर रहे डॉ आद्या प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि 'अकेला' राजनीति, देशप्रेम, बुढ़ापा एवं बचपन के शीत छॉंव, परिवार एवं अनेक भावों को गहराई से स्पर्श करते हैं। संचालन डॉ0 फूलचंद गुप्त व स्वागत व आभार ज्ञापन आयोजक द्वय कुमार अभिनीत डॉ अवधेश नन्द ने किया। कार्यक्रम में रविन्द्र मोहन त्रिपाठी, बीरेन्द्र मिश्र 'दीपक', बागीश्वरी मिश्र 'वागीश' चन्द्रगुप्त वर्मा 'अकिंचन', ओम प्रकाश पाण्डेय 'आचार्य, अवधेश शर्मा 'नन्द, अरुण ब्रह्मचारी, रामनरेश शर्मा 'शिक्षक' सुभाष चन्द्र यादव ,सृजन गोरखपुरी सुधीर श्रीवास्तव 'नीरज', प्रेमनाथ मिश्र, डा० अजय अनजान, गोपाल दूबे, सूरज राम आदित्य, अजय यादव, एडवोकेट नरेन्द्र शर्मा एवं भीम प्रसाद प्रजाप‌‌ित सहित शताधिक साहित्यकार एवं साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।
 *दिनेश जायसवाल की रिपोर्ट*

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