'राष्ट्रपति महोदया'
आस्था'अंधविश्वास'के लिए क्या जीवन'समानता'संविधान'भाईचारे' को कुचल दिया जाएगा?
जब किसी को फांसी की सजा हो जाती है तो वह न्यायालय की ओर भागता है अपने भगवान'ईश्वर'अल्लाह' की ओर नहीं जब कोई बीमार पड़ता है तो डॉक्टर के पास दौड़ता है दवा के लिए मंदिर नहीं जाता शिक्षा के लिए विद्यालय जाता है मंदिर मस्जिद गिरजाघर नहीं जाता। किससे पूछूं कि पत्थर की बनी मूर्ति के लिए इस देश को क्यों मिटाया जा रहा है गुलामी से आजादी पत्थर से नहीं वरन असंख्य हिंदू मुसलमान की कुर्बानी फांसी से मिली है पत्थर से भारत की उत्पत्ति बता कर सत्ता के भूखे भेड़िए इस देश को नफरत की जमीन में बदल दिए हैं.
आस्था'सनातन'धर्म विष्णु भगवान' के नाम पर परम सम्माननीय मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेकने वाले को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए ताकि न्याय जिंदा रह सके मेरा मानना है यदि वह हथियार लेकर वहां पहुंच सकता था या पहुंचने की अनुभूति होती तो वह गोली मारता। इससे अधिक तो वह कुछ कर भी नहीं सकता था उसके पास फेंकने को पेन था उसके अपने कपड़े थे काला कोट था लेकिन इसमें से सबसे सिंबॉलिक शूज'था।आपराधिक मानसिकता से ग्रसित अंधविश्वासी को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए।यह 'अटेम्प्ट टू मर्डर'था वह विवस था वहां हथियार लेकर नहीं जा सकता था।'न्याय' मनुष्यता की आत्मा की बनी होती है और यह भी वैज्ञानिक सत्य है कि पत्थर में जीवन की तलाश मानवता भिन्न है।
"मां के पेट से पैदा'अनाज खाकर' प्रकृति से हवा'पानी'जीवन ग्रहण कर जीने वाला हर व्यक्ति एक बार विचार करे.वे विचार न करें जो कान से पसीना से मछली के पेट आदि से पैदा हुए हैं''
भगवान भारत को कहां खड़ा कर दिया? गरीबी विषमता महंगाई भय हिंसा बलात्कार पर्यावरण विनाश असंख्य जीवों की हत्या का देश बना दिया अभी कहां और खड़ा करेगा?भगवान का नाम लेते ही और सुनते ही मेरे दिल में हत्या हिंसा भय बलात्कार उभर कर सामने आ जाता है हम यदि थोड़ा बहुत सुरक्षित है तो संविधान की ताकत से बस और कुछ नहीं संविधान की ताकत से ही लगता है कि मेरा कोई भगवान है मेरे ऊपर कोई जुर्म होगा तो संविधान रूपी भगवान से मेरी मदद करेगा.जैसे देश राष्ट्रपति के नाम चलता है वैसे ही सारे अपराध भगवान ईश्वर अल्लाह का नाम लेकर किया जाता है अल्लाह का नाम लेकर मुसलमान गाय भैंस ऊंट बकरे को काट देता है ईसा मसीह पंथी गाजा में के बच्चों पर बम गिराते हैं (आतंकवाद समाप्त करने के नाम पर) राम और कृष्ण के नाम पर तो कुछ पूछना ही नहीं है जितनी हिंसा संभव कर लीजिए बलात्कार कर लीजिए
दुनिया में जितने भी लोग हैं उसमें से कुछ पत्थर निर्मित मंदिर में भगवान की तलाश करते हैं कुछ लोगों का भगवान गिरजाघर में होता है कुछ का भगवान मस्जिद में होता है और कुछ लोगों का भगवान उनके भीतर रहता है।बुद्ध के मरने के बाद बुद्धिस्ट मठ एवं बिहार बनवाने लगे
बुद्ध'सत्य अहिंसा समता के उपदेशक थे राम कृष्ण राजा थे जो युद्ध एवं हिंसा में विश्वास रखते थे ईसा मसीह' पैगंबर मोहम्मद' धार्मिक उपदेशक थे
भगवान ईश्वर अल्लाह कल्पना'है मानवता की हत्या' है गरीबी अमीरी शोषक शोषित, भगवान ईश्वर अल्लाह के नाम से निकले हैं' यह अवैज्ञानिक' एवं अंधविश्वास' हैं
एक ही देवी मां है और एक ही देवता पिता है जिसने हमें पैदा किया है
भगवान ईश्वर अल्लाह का आविष्कार बलात्कारियों अपराधियों ने अपने अपराध बलात्कार को जायज एवं ईश्वरीय कृपा बताने के लिए किया है.
भगवान ईश्वर अल्लाह में आस्था एवं विश्वास जितना ही बढ़ेगा अपराध बलात्कार विषमता शोषण गरीबी उतनी ही बढ़ेंगी हिंसा हत्या जुर्म अपराध सब भगवान ईश्वर अल्लाह मानने वाले ही करते हैं यह सब मानने वाले कुछ अच्छे लोग भी हैं अवश्य ही बुद्ध इसकी अनुमति नहीं देते परंतु आज जो बुद्धिस्ट टेंपल की मांग कर रहे हैं देखिए न उसमें से सभी के सभी अहिंसावादी बुद्ध के हिंसावादी फॉलोअर है
"मनुष्य के रूप"में बुद्ध कृष्णा राम ईसा मसीह मोहम्मद आदि का इतिहास है परंतु भगवान ईश्वर अल्लाह के रूप में इतिहास के पन्नों में इनका कोई संदर्भ नहीं है
भारत में प्रारंभिक अवस्था में धर्म का सीधा संबंध प्रकृति एवं प्रकृति को नियंत्रित करने वाली शक्तियों से था
प्रति:--मा. मुख्य न्यायाधीश SC
मा. गृह मंत्री भारत
डॉ संपूर्णानंद मल्ल
पूर्वांचल गांधी
सत्यपथ
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