लखनऊ, 22 अक्तूबर। मौलाना आज़ाद मेमोरियल अकादमी लखनऊ के तत्वावधान में सर सैयद की जयंती के अवसर पर "नवाब सुल्तान जहां बेगम और तालीम-ए-निस्वां" विषय पर एक विस्तार व्याख्यान का आयोजन इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया, ऐशबाग लखनऊ में किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता ई.टी.आर.सी. की डिप्टी डायरेक्टर एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. क़मर रहमान ने की, जबकि मुख्य अतिथि मौलाना खालिद रशीद फिरंगीमहली थे। विशेष वक्ता के रूप में मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ प्रोफेसर अज़ीज़ुद्दीन हुसैन उपस्थित रहे। संचालन अकादमी के महासचिव डॉ. अब्दुल कुद्दूस हाशमी ने किया l
अपने व्याख्यान में प्रो. अज़ीज़ुद्दीन हुसैन ने कहा कि नवाब सुल्तान जहां बेगम ने उस दौर में मुस्लिम महिलाओं की शिक्षा के लिए जो कार्य किए, वह अनुकरणीय हैं। उन्होंने कहा कि बेगम साहिबा ने महिलाओं को उनके शिक्षा के अधिकार के प्रति जागरूक किया और 1914 में करामत मुस्लिम गर्ल्स कॉलेज का निरीक्षण करते हुए वार्षिक ₹1200 की सहायता की घोषणा की। मौलाना आज़ाद के अनुसार, वह एक ऐसी शासक थीं जो शासन के साथ-साथ लेखन, शिक्षा और सामाजिक सुधार में भी अग्रणी थीं।
मौलाना खालिद रशीद फिरंगीमहली ने उद्घाटन भाषण में कहा कि सुल्तान जहां बेगम पहली महिला थीं जो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की चांसलर बनीं। उन्होंने शिक्षा-ए-निस्वां के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान दिया और वक्फ संपत्तियों के संरक्षण और पंजीकरण के प्रति लोगों को जागरूक किया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. क़मर रहमान ने कहा कि सुल्तान जहां बेगम महिलाओं में हुनर और आत्मनिर्भरता की प्रतीक थीं। उन्होंने महिलाओं को शिक्षा और कौशल से जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कार्यक्रम के अंत में अलीगढ़ तराना और �
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