आगामी उर्दू डे मौके पर उर्दू बेदारी फोरम मुजफ्फरनगर के तत्वाधान में एक दिवसीय उर्दू कार्यशाला सम्पन्न”
उत्तर प्रदेश के जिला मुजफ्फरनगर से है यहां आगामी 9 नवंबर को मनाए जाने वाले उर्दू डे और शायर-ए-मशरिक़ अल्लामा इक़बाल की पैदाइश के अवसर को ध्यान में रखते हुए उर्दू बेदारी फोरम मुजफ्फरनगर के तत्वावधान में बिलासपुर के एफ.डी. इंटर कॉलेज में एक दिवसीय उर्दू कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य विद्यार्थियों में उर्दू भाषा के प्रति प्रेम, अध्ययन में रुचि और भाषण कौशल को बढ़ावा देना था।
मुजफ्फरनगर..
उर्दू बेदारी फोरम मुजफ्फरनगर द्वारा आगामी उर्दू डे और अल्लामा इक़बाल की पैदाइश के मौके पर एफ.डी. इंटर कॉलेज बिलासपुर में एक दिवसीय उर्दू कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुफ्ती अब्दुल सत्तार की तिलावत-ए-कुरान से हुआ, जबकि डॉ. मुहम्मद ताहिर कमर ने नात-ए-रसूल पेश की।
कार्यशाला की अध्यक्षता मदरसा फलाह दारैन के संस्थापक मौलाना मुमशाद कासमी ने की और संचालन उर्दू बेदारी फोरम के कोषाध्यक्ष मुहम्मद इरशाद ने किया।
कार्यशाला प्रभारी मुहम्मद शाहवेज़ ने निर्णायकों का परिचय कराते हुए कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डाला।
फोरम के अध्यक्ष शहजाद अली ने कहा कि उर्दू सिर्फ एक ज़ुबान नहीं बल्कि तहज़ीब और इल्म की विरासत है। यह कार्यशाला उन छात्रों के लिए आयोजित की गई जो कक्षा 9 से स्नातक स्तर तक उर्दू का अध्ययन करते हैं। उद्देश्य यह है कि नई पीढ़ी उर्दू की बोलचाल, लेखन और अध्ययन में दक्ष हो सके।
कार्यशाला में छात्रों को तीन समूहों में बाँटा गया था।
पहले समूह (कक्षा 9-10) का विषय था “अल्लामा इक़बाल एक शायर और मुरब्बी के रूप में”;
दूसरे समूह (कक्षा 11-12) ने “अल्लामा इक़बाल का तसव्वुर-ए-शाहीन व अलम-ए-मुजफ्फरनगरी” पर भाषण दिया;और तीसरे समूह (स्नातक वर्ग) ने “बाबा-ए-उर्दू मौलवी डॉ. अब्दुल हक़ की ज़िंदगी और सेवाएँ” पर विचार रखे।
प्रत्येक प्रतिभागी को 2-3 मिनट का समय दिया गया, और सर्वश्रेष्ठ वक्ताओं का चयन जिला स्तरीय प्रतियोगिता के लिए किया गया।
निर्णायक मंडल में अब्दुल गफूर एडवोकेट, शकील अहमद एडवोकेट, डॉ. ताहिर क़मर और ज़ैनबिया गर्ल्स इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या श्रीमती बिंते हसन ज़ैदी शामिल रहीं। निर्णायकों ने विद्यार्थियों के उत्साह की सराहना करते हुए कहा कि उर्दू भाषा की सेवा आज भी समाज की बौद्धिक पहचान का हिस्सा है।
इस अवसर पर अल-सारा तहरीक-ए-तालीम बागपत के अध्यक्ष इरफान अली असरवी ने कहा कि “अल्लामा इक़बाल की सोच नौजवानों को हौसला और आत्मविश्वास देती है। उर्दू डे केवल एक तारीख नहीं, बल्कि उर्दू के फ़रोग़ का पैग़ाम है।”
इस्लामिया इंटर कॉलेज के प्रवक्ता क़ाज़ी तनवीर आलम ने कहा कि उर्दू को शिक्षा और रोज़गार से जोड़कर नई ऊँचाइयाँ हासिल की जा सकती हैं।
अंत में हाजी औसाफ अहमद अंसारी और मुहम्मद चौधरी ने सभी अतिथियों का धन्यवाद किया। अपने अध्यक्षीय संबोधन में मौलाना मुमशाद कासमी ने कहा कि “अगर हम घरों और स्कूलों में उर्दू को अमल में लाएँ, तो यह भाषा फिर से अपने सुनहरे दौर में लौट सकती है।”
कार्यक्रम को सफल बनाने में हाजी अबुल हसन, डॉ. रियाज़, मुहम्मद राशिद, ओवैस अहमद, वसीम अहमद, ज़मीर हसन, साजिद त्यागी, असमा मैडम, उज़मा महदी और अन्य शिक्षकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कार्यशाला का समापन सामूहिक दुआ और उर्दू डे के मौके पर उर्दू के प्रचार-प्रसार के संकल्प के साथ हुआ।
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