एक बार फिर ठग विद्या की माहिर सरकार ने देश के नागरिकों का गिद्धों की तरह लोथड़ा नोच गुलछर्रे उड़ाने के मकसद से पेट्रोल-डीजल पर अतिरिक्त महसूल नाजिल कर दिया है। पेट्रोल पर ₹10का अतिरिक्त कर थोपा गया जिसका द्विशाखन यह है ₹ 8 सड़क और आधारभूत ढांचे के लिए और ₹2 महसूल के रूप में लिया जाएगा। इसी तरह डीजल पर ₹13 जिसमें ₹8 सड़क और आधारभूत ढांचे और ₹5 चुंगी वसूली जाएगी। अति आत्मविश्वास में तुर्रा यह कि खुदरा उपभोक्ताओं को इस कर की मार नहीं झेलनी पड़ेगी। यह क्रोनोलॉजी ठगाधिराज किसे समझा रहे हैं? यह एक अतीव गंभीर व विचारणीय पहलू है। हर भारतीय समझना चाहेगा कि जब उपभोक्तावादी संस्कृति में हर सौदा क्रेता और विक्रेता के बीच होता है,"तब खुदरा उपभोक्ता पर इस महसूल का असर क्यों नहीं पड़ेगा? आखिरकार इस चुंगी का असर कहां और किस पर पड़ेगा?
देश के नागरिकों से कितना छल प्रपंच करेगी यह सरकार? जब से देश वैश्विक महामारी से जूझ रहा है सत्तासीन लोगों के चेहरे पर शिकन की एक भी रेखा नहीं दिखी। आशंका होती है कि उनके चेहरे पर इत्मीनान के भाव के यह मायने तो नही कि सब कुछ उनकी रणनीति के अनुसार हो रहा है ।
हर त्रासदी नागरिकों को ही क्यों झेलनी पड़ रही है; चाहे लाकडाऊन का अनुपालन कर घर के अंदर बंद होना हो, बर्बाद होते व्यवसायिक प्रतिष्ठान हो, आय के अभाव में बिजली का बिल हो, मकान का किराया, ताली बजाकर हाथों को सुजा लेना हो या फिर टॉर्च की रोशनी में शरारती कोरोना चुहिया को भगाने का उपक्रम। बेरोजगारी की मार का शिकार, हम अल्प व मध्यवर्गीय परिवारों का चौपट होता भविष्य,बच्चों की बर्बाद होती शिक्षा। पीएम केयर में दान देने की पहल। सब कुछ हम पर ही आन पड़ा है। देश की खातिर हम सब बर्दाश्त करने को तैयार हैं परंतु जब इस काम में सरकार के साजिश की बू आती है, दिल बैठ जाता है। सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि हमने इतनी भयंकर भूल क्यों की ? जिन्हें हमने अपने प्रतिनिधि के रूप में सत्ता के शीर्ष पर बैठाया था वह अपने को प्रतिनिधि की बनिश्वत तानाशाह मानने लगे हैं। और लगे हैं थोपने हम पर महसूल पर महसूल।
हम उस वक्त सिहर जाते हैं जब यह देखते हैं कि जो सरकार हमें यह कहती है कि देश को चीन की वस्तुओं का बहिष्कार करना चाहिए," वहीं सरकार पुलिसकर्मियों से लाक डाउन उल्लंघन के नाम पर चीन के बेतों से हमारे नितंबों (पिछवाड़ों) को इतना सुतवाती है कि सुबह की कई दैनिक क्रियाएं बाधित हो जाती हैं। खाकी वर्दी में छिपे इन यमराजों की शक्लें हमें कई दिनों तक डराती रहती हैं। ठगाधिराज आप यह दावा करेंगे कि जब वैश्विक महामारी से निपटने के लिए निर्धारित दिशा-निर्देशों का उल्लंघन होगा,"तब पुलिस का व्यवहार कठोर होगा ही।" यह बात अच्छी लगी। एक बात बताएं छद्मधारी:- जब पुलिस की एक गाड़ी में चार से पांच पुलिसकर्मी पेट्रोलिंग करते हैं," तब क्या वह सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन करते हैं?" यदि नहीं तो क्यों? क्या कोरोना वायरस पुलिस की वर्दी से डर जाता है या फिर आप के इशारे पर काम करने की वजह से इनके पास फटकने से भय खाता है?
मुख्य विषय की तरफ मुड़ते हैं। जब सरकार ने पेट्रोल, डीजल पर महसूल नाजिल कर ही दिया है,"तब खुदरा उपभोक्ता उसकी जद में आने से कैसे बचा रह सकता है?" क्या पेट्रोलियम कंपनियों को पहले से ही इतने बड़े लाभांश की छूट दी गई थी या इनके भी कर्जे को बट्टा खाते में डाल दिया जाएगा? यकीन है यमराज! आप गरीब,मजदूर, मजदूर किसानों व किसानों के हित के लिए अपने लंगोटिया यारों को इतनी तकलीफ नहीं पहुंचा सकते! आने वाला समय किसानों व मजदूरों को डीजल खपत के लिए बाध्य करेगा। सिंचाई व जुताई में डीजल बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होगा;इसलिए आपने हमारी कमर तोड़ने के लिए डीजल पर रुपया 13 का महसूल नाजिल (कर लादना) किया है। आपको आपका धंधा मुबारक: अभी हम नशे में हैं; जिस दिन यह नशा उतरा:- उसी दिन आप जैसे खूंखार तानाशाह सड़क के किसी चौराहे पर पैर ऊपर और सिर नीचे कर लटकते नजर आएंगे।
कोरोना हमें तभी मारेगा," जब हम भूख से बच पाएंगे, अन्यथा बाल भी बांका नहीं कर पाएगा।" आप जैसे फरेबी लोग यह जानते हैं कि हमें कोरोना नहीं मार सकता! इसलिए भूख से मारने की नई-नई तरकीब इस्तेमाल कर रहे हैं। भूखा:- मजदूर, किसान, नाई, बढ़ई, ठेला व रेहड़ी लगाने वाला बेरहम सरकार की नाक में नकेल डालने में सक्षम है। जब यह ऊंट और हाथी को अपने वश में रख सकता है," तब व्यापारी सरकार को भी ठिकाने लगा सकता हैं।" इतिहास के पन्नों को एक बार पलट कर देख लो वहशी! तुम्हारी धमनियों में बहने वाला तानाशाही रक्त सूख जाएगा ।
गौतम राणे सागर ।
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