आरोग्य सेतु ऐप बनाम ईवीएम


     देश में दो अबुझ पहेलियां हैं। चुनाव में ईवीएम और स्वास्थ्य के लिए आरोग्य सेतु ऐप। इनके उपयोग के मकसद हमेशा संशय के दायरे में रहे हैं। ईवीएम के सतीत्व पर 2009 से लगातार अंगुली उठ रही है। पहले भाजपा इसे चरित्रहीन कहती थी और वर्तमान में कांग्रेस व अन्य दल। यह विषय विषादग्रस्त व उबाऊ है। अधिक चर्चा करना परिस्थित प्रतिकूल है। यदि चर्चा को वृहद करने की कोशिश की," तब कई लोगों के स्वाद बिगड़ने लगेंगे-यानि नशा उतरने लगेगा। बमुश्किल 45 दिन के में अंगूरी के चुंबन का अवसर नसीब हुआ है;वह भी 70% कोरोना महसूल (कर) देकर । हम आपके नशे को इतनी आसानी से नहीं उतरने देंगे। स्वतंत्र हैं:- अपनी कीमत का पूरा आनंद ले सकते हैं।
        हम बात करेंगे आरोग्य ऐप महामारी की। मान्यतानुसार जब कोई सांप किसी व्यक्ति को डंसता है," सांप के जहर को उतारने के लिए विषैले यानी कोबरा के जहर से बनी दवा/ इंजेक्शन का प्रयोग किया जाता है। यह सफलतापूर्वक आजमाई विधि है; पूरी तरह से वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर खरा उतरती है। सशंकित होने का प्रश्न ही नही उठता! इसके करतब और करामात से हर कोई मुतमईन है। ख्वाब में भी कोई सुबहा नहीं है। जैसे:- हर पीली चीज सोना नहीं होती उसी तरह हर ऐब को हम ऐप कैसे तस्लीम कर सकते हैं? 
      आइए समझते हैं आरोग्य सेतु एप कैसी महामारी है? दिमाग पर थोड़ा जोर देखकर विस्मृत हुई स्मृतियों को जोड़कर संजाने की कोशिश करें; तब इजराइल के बनाए एक टूल का नाम जेहन में जरूर उतरेगा। जिसने 1400 पत्रकारों की जमकर खबर ली। जाना कि पत्नी से कब मिलते हैं और साली को कब समय देते हैं। लघुशंका कितनी बार की और दीर्घशंका के लाइन में लगना पड़ा या सीधे पास मिल गया। सड़क किनारे खड़े होकर कहीं बाटी चोखा खाया या लालबाग वाले शर्मा के बंद मक्खन और चाय से काम चला लिया। किसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के चैनेलाइज्ड रैस्टोरेंट में पहुंच गए तो कैसे? उसका नाम था पेगासस मैलवेयर। पत्रकारों की जासूसी के लिए यह टूल तैयार किया गया था; जिसे हमारे देश की सरकार ने दामाद की इज्जत देते हुए भारत में धड़ल्ले से उपयोग किया और अपनी खिल्ली भी उड़वाई।
          जिस NSO ने पेगासस मैलवेयर तैयार किया था," उसी ने एक और सर्विलांस टूल बनाया है उसका नाम है फ्लेमिंग। जब कोई चीज दुनिया के सैर की अनुमति नही पाती,"तब वही वस्तु हमारे यहां यानी भारत में नये नवेले खूब कमाऊं दामाद सा स्वागत-सत्कार के साथ करता है प्रवेश और उसका नामकरण नए सिरे से होगा। नए अवतरण में प्रस्तुत किया जाएगा और उसके पितामह का दर्जा हासिल करने का अधिकार सिर्फ एक महान विभूति को है जिन्हें हम गंगा पुत्र के नाम से जानते हैं। यदि यह कहा जाए कि वह विष्णु अवतारों की श्रृंखला की एक अगली कड़ी है। वैशाखानन्द अवतार में भारत भूमि पर अवतरित हुए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा। NSO के नए सर्विलांस टूल फ्लेमिंग को आरोग्य सेतु ऐप नामकरण से अलंकृत करने में महान वैज्ञानिक गंगा पुत्र ने जो तपस्या की है; अद्वितीय है। उनके दावे के सामने स्वतः ही हर भारतीय का मस्तक श्रद्धा से झुक जाता है। यदि झुकेगा नही तो कट जाएगा। इजरायल ने यही ऐप पाकिस्तान को भी बेचा है । स्मरण रहे कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल के साहबजादे प्रिंस मिशाल बिन अब्दुल्ला तुर्की बिन अब्दुल्लाज़ीज़ अल सऊद व पाकिस्तानी पार्टनर सैय्यद अली अब्बासी के साथ जेमिनी फाइनेंशियल सर्विसेज का बड़ा कारोबार करते हैं । कोई अंगुली न उठाएं अन्यथा बड़े डोवाल साहब जिन दिन आपके यहां डिनर लेने पहुँच गये,"मोहम्मद साद की तरह लोग आपको भी ढूँढते रह जाएँगे ।
        आरोग्य सेतु ऐप के माध्यम से गंगा पुत्र ने दावा किया है कि यह आपको कोरोना पीड़ित की लोकेशन बता देता है। दांव-पेंच पर विवेचक विश्लेषण होना चाहिए; विवेचना हेतु कुछ प्रश्न है:-
        1. क्या वाकई आरोग्य सेतु ऐप कोरोना मरीज की लोकेशन शेयर करता है?
        2.क्या आरोग्य सेतु ऐप बगैर किसी टेस्ट किट के कोरोना प्रभावित व्यक्ति को कोरोना रोगी होना प्रमाणित कर देता है?
        3  यदि आरोग्य सेतु ऐप कोरोना जांच करने में सक्षम है," तब अन्य जाँच टेस्ट किट की आवश्यकता क्या है?
         4. क्या आरोग्य सेतु ऐप के बाद भी कोरोना की जांच करानी पड़ेगी; यदि हां तब इसे डाउनलोड करने की अनिवार्यता घोषित करने का खेल क्या है?
           5. जब टेस्ट किट से ही कोरोना की जांच होगी,"तब जांच उपरांत रोगी अस्पताल में भर्ती होगा या सड़कों पर टहल- टहल कोरोना का प्रसाद बटेगा, जिसे यह ऐप खटाक से धर दबोचेगा?
            6. क्या आरोग्य सेतु ऐप कोई एंटीबॉडी है जो ऐप डाउनलोड करने वालों को भोजन के अभाव में भी पूरी ऊर्जा वितरित करता रहेगा?
              7. क्या कोरोना प्रभावित व्यक्ति से कोई तरंगे निकलती हैं जिसे आरोग्य सेतु ऐप कैच कर लेता है? 
               8.जब आरोग्य  सेतु ऐप स्वयं में कोरोना प्रभावित व्यक्ति चिन्हित करने में सक्षम है," तब हमें खुश हो जाना चाहिए कि केवल ऐप डाउनलोड करने से ही कोरोना की जांच हो जाएगी।
                9. जब आरोग्य सेतु ऐप कोरोना पीड़ित को चिन्हित करने में सक्षम है,"तब डब्ल्यूएचओ को इसे तुरंत पेटेंट कर देना चाहिए था, और दुनिया के अन्य देशों में इस ऐप की मदद से जांच आसान हो जाएगी;उसे संस्तुति करनी चाहिए थी।  डब्ल्यूएचओ को आगे आकर इस ऐप की तारीफ के पुल बांध देने चाहिए थे परंतु किया क्यों नहीं?
                 10.आरोग्य सेतु ऐप की तारीफ बिल गेट्स क्यों कर रहे हैं, कहीं ऐसा तो नहीं कि जिन भारतीयों की निजता का व्यवसाय वह चाहते थे वह इसी ऐप से संभव हो पाएगा?
     लब्बोलुआब हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि आरोग्य सेतु ऐप हर भारतीयों के साथ वही व्यवहार करेगा,"जो व्यवहार पेगासस मैलवेयर पत्रकारों के साथ करने की कोशिश कर रहा था। चूकि पत्रकार वाचाल थे सुरक्षित बच निकले:-आप ठहरे मूक और बधिर आपके जीवन में भूचाल आना तय है।
      आखिर में थोड़ा सा दिमाग खर्च कर लीजिए जब आरोग्य सेतु ऐप बगैर किसी इंटरनेट के कोरोना पीड़ित चिन्हित कर लेता है," तब ईवीएम से वोटो में घपला क्यों नहीं किया जा सकता? दोनों संदिग्ध है मुक्ति का मार्ग ढूंढे; हम मुक्तिदाता नहीं मार्ग दाता हैं: दोनों के बहिष्कार का मार्ग प्रस्तुत करते हैं।
गौतम राणे सागर ।

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