गुजरात मॉडल मतलब झूठों के ढेर पर खड़ा एक मायावी महल। जहां से शुरू होते हैं झूठ,फरेब, प्रपंच,जालसाजी और बहती है खून की नदियां। एशियाई नस्लों के सबसे बेहतरीन गधे यहां कच्छ के जंगलों में पाए जाते हैं। देश को गौरवान्वित महसूस करना चाहिए कि जिन लोगों को गधे देखने के लिए कच्छ के जंगलों में जाने के लिए लंबी यात्रा करनी पड़ती थी," उन्हें लंबी यात्रा के पीड़ा से मुक्ति मिल गई है। अब देश के तकरीबन हर कोने में बड़े पैमाने पर यह उपलब्ध हैं। यह लीला विष्णु जी की ही होगी; एक बार फिर उन्होंने वैशाखानन्द के रूप में अवतरित होकर देश की प्रगति में दखलंदाजी करने वाले मजदूरों को सबक सिखाने की प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है।
अवतार का अर्थ अवतरित होना या उतरना है। हमारे हिंदू मान्यता के अनुसार जब-जब दुष्टों का भार पृथ्वी पर बढ़ता है और धर्म की हानि होती है तब-तब पापियों ( मजदूरों) का संहार करने तथा भक्तों( गद्दार उद्योगपतियों ) की रक्षा करने के लिये भगवान अपने अंश अथवा पूर्णांश से पृथ्वी पर शरीर धारण अवश्य करते हैं । भागवत पुराण के अनुसार विष्णु के असंख्य अवतार हुए हैं किन्तु उनके दस अवतारों (दशावतार = दश + अवतार) को प्रमुख अवतार माना जाता है। विष्णु के ये दस अवतार अग्निपुराण, गरुणपुराण और भागवत पुराण में उल्लिखित हैं। आज चर्चा को केन्द्रित करेंगे सुखसागर के अनुसार भगवान विष्णु के चौबीस अवतार की।
1.सनकादि ऋषि 2.वराहावतार 3.नारद मुनि 4.हंसावतार 5.नर-नारायण 6.कपिल 7.दत्तात्रेय 8.यज्ञ 9.ऋषभदेव 10.पृथु 11.मत्स्यावतार 12.कूर्म अवतार 13.धन्वन्तरि 14. मोहिनी 15.हयग्रीव 16. नृसिंह 17.वामन 18.गजेन्द्रोधारावतार 19.परशुराम 20.वेदव्यास 21.राम 22. कृष्ण 23.कल्कि 24. वैशाखानन्द
1.भगवान ने कौमारसर्ग में सनक, सनन्दन, सनातन तथा सनत्कुमार नामक ब्रह्मऋषियों के रूप में अवतार लिया। यह उनका पहला अवतार था।
2.पृथ्वी को रसातल से लाने के लिये भगवान ने वराह के रूप में अवतार लिया तथा हिरण्याक्षु का वध किया।
3.ऋषियों को सात्वततंत्र, जिसे कि नारद पंचरात्र भी कहते हैं और जिसमें कर्म बन्धनों से मुक्त होने का निरूपण है, का उपदेश देने के लिये नारद जी के रूप में अवतार लिया।
4.हंस के रूप में अवतार लेकर भगवान् ने नारद जी को उपदेश दिया।
5.धर्म की पत्नी मूर्ति देवी के गर्भ से नर-नारायण, जिन्होंने बदरीवन में जाकर घोर तपस्या की।
6.माता देवहूति के गर्भ से कपिल मुनि के रूप में भगवान् का अवतार हुआ जिन्होंने अपनी माता को सांख्य शास्त्र का उपदेश दिया। जबकि हमारे हिन्दू धर्म में स्त्रियों को शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार नही है; लीला पर प्रश्न नही किया जा सकता।
7.अनसूया के गर्भ से दत्तात्रेय प्रकट हुए जिन्होंने प्रह्लाद, अलर्क आदि को ब्रह्मज्ञान दिया। इस लीला पर भी कोई प्रश्न नही उठाया जाना चाहिए कि आखिर हरि ने एक राक्षस प्रह्लाद को शिक्षा क्यों दी?
8.आकूति के गर्भ से यज्ञ नाम से अवतार धारण किया।
9.नाभिराजा की पत्नी मेरु देवी के गर्भ से ऋषभदेव के नाम से भगवान का अवतार हुआ। उन्होंने परमहंस के उत्तम मार्ग का निरूपण किया।
10. राजा पृथु के रूप में भगवान ने अवतार लिया और गौ-रूपिणी पृथ्वी से अनेक औषधियों, रत्नों तथा अन्नों का दोहन किया।
11 चाक्षुषमन्वन्तर में सम्पूर्ण पृथ्वी के जलमग्न हो जाने पर पृथ्वी को नौका बना कर भावी वैवश्वत मनु की रक्षा करने हेतु भगवान ने मत्स्यावतार लिया।
12.समुद्र मंथन के समय देवता तथा असुरों की सहायता करने के लिये भगवान ने कच्छप के रूप में अवतार लिया।
13.भगवान ने धन्वन्तरि के नाम से अवतार लिया जिन्होंने समुद्र से अमृत का घट निकाल कर देवताओं को दिया।
14.मोहिनी का रूप धारण कर देवताओं को अमृत पिलाने के लिये भगवान ने अवतार लिया। असुरों को अमृत नही पीना चाहिए;बलशाली होकर देवताओं के सनक का विरोध करेंगे। क्या खूब छला हरि ने मोहिनी का रूप धारण कर ।
15.ग्राह से गज को बचाने के लिए भगवान् आये। यद्यपि यह अवतार नहीं था क्योंकि अवतार में नया जन्म लिया जाता है या कम से कम अन्य रूप धारण किया जाता है; फिर भी कई जगह इसे भी अवतार मान लिया गया है। जब लीला पर प्रश्न नही किया जा सकता है,"तब मानना ही पड़ेगा। है किसी की मजाल जो मानने से इंकार करे ।
16.भगवान का नृसिंह(नरसिंह) के रूप में अवतार हुआ जिन्होंने हिरण्यकश्यपु दैत्य को मार कर प्रह्लाद की रक्षा की। ध्यान रहे कि हिरण्यकषिपु दैत्य को मारकर उसके बेटे प्रह्लाद देवता की रक्षा की । उप्र का हरदोई जिला इन्हीं के नाम पर पड़ा है । पहले इसे हरिद्रोही (विष्णु द्रोही) उच्चारण किया जाता था ।
17.दैत्य बलि को पाताल भेजकर देवराज इन्द्र को स्वर्ग का राज्य प्रदान करने हेतु भगवान ने वामन के रूप में अवतार लिया।
18.अभिमानी क्षत्रिय राजाओं का इक्कीस बार विनाश करने के लिये परशुराम के रूप में अवतार लिया।
19.पराशर जी के द्वारा सत्यवती के गर्भ से भगवान ने वेदव्यास के रूप में अवतार धारण किया जिन्होंने वेदों का विभाजन करके अनेक उत्तम ग्रन्थों का निर्माण किया।
20.प्रत्येक कल्प में भगवान् व्यास के रूप में अवतार लेकर वेदों का विभाजन कर मानव-कल्याण का पथ प्रशस्त करते हैं।
21.राम के रूप में भगवान ने अवतार ले कर रावण के अत्याचार से विप्रों, धेनुओं, देवताओं और संतों की रक्षा की। यह अवतार भी लीला का अनुपम उदाहरण है जिन क्षत्रियों का इक्कीस बार बीज नाश किया गया;उन्हीं के यहाँ अवतार। ऐसे समय में जब राजा दशरथ श्रवण के माँ-बाप द्वारा दिये गये अभिशाप के कारण सोशल डिस्टेंन्सी का अनुपालन कर रहे थे ।
22.भगवान ने सम्पूर्ण कलाओं से युक्त कृष्ण के रूप में अवतार लिया।
23.कलियुग के अन्त में विष्णु यश नामक ब्राह्मण के घर भगवान् का कल्कि अवतार हुआ।
24. वैशाखानन्द अवतार:- स्वयं दावा करतें हैं कि यह एक तेली जाति की कोख से जन्म लिए हैं,"परन्तु हरि के लिये सभी अवतार किसी भी पिछड़ी जातियों में नही हुआ । हरि पिछड़ी जातियों को दैत्य मानते थे,"तब इनके यहाँ जन्म कैसे ले सकते हैं?
क्रमशः
गौतम राणे सागर ।
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