सर्वोच्च न्यायालय न होता तो व्यवस्थापिका"कार्यपालिका" के सदस्य भारत को "लूट"बलात्कार"हिंसा"में बदल दिए होते

सम्माननीय गणमुखिया महोदया"
                                               3pm27 जुलाई 23
सर्वोच्च न्यायालय न होता तो व्यवस्थापिका"कार्यपालिका" के सदस्य भारत को "लूट"बलात्कार"हिंसा"में बदल दिए होते। यद्यपि भारत  उधर ही बढ़ रहा है फिर भी SC का चाबुक"इन चोरों' लुटेरों' क्रिमिनल्स' पर चल रहा है। 

"लोकतंत्र" गणतंत्र" शीशे की तरह टूट रहा है। कुछ लोकतंत्र कल के लिए भी संभाल कर रखिए ताकि आने वाली पीढ़ियां याद रख सके। कुछ ईडियट"इतिहास पुनः लिखा जाएगा" स्लोगन उछाल रहे हैं उन मूर्खों को यह पता  नहीं कि "पल पूर्व' जो बीत गया वह इतिहास है। मरे हुए अतीत"को बदला नहीं जा सकता. उससे सीख लेकर वर्तमान को सवारते हुए भविष्य की सुखद योजनाएं बनाई जाती है।                                           

पिछली सदी के 8वीं-9दहाई में नेहरू गांधी परिवारवाद" को गाली देकर कुछ नए लोग विधानसभाओं एवं संसद में प्रवेश किये उसमें से अधिकांश युवा थे परंतु चोर' क्रिमिनल गुंडे हत्यारे' बलात्कारी' सांप्रदायिकता फैलाने वाले "जाति का जुआई पासा फेंकने वाले"उस्ताद थे। सदनों में पहुंचने के लिए इन्हीं हथियारों का इस्तेमाल किया। जैसे गुलामी काल में ICS अंग्रेजी नस्ल का ही हो सकता था उसी तरीके से भारत में लगभग 100 ऐसे नेता एवं उनके घराने पैदा हो गए हैं जो यह समझ बैठे कि वे लोकतंत् के जेनिटर है, कुछ ऐसे घराने हैं जो अंग्रेजों की मुखबिरी करते थे,लोकतंत्र उनकी जागीर है। वही चला सकते हैं। जो भी हो भारतीय सत्ता पर चोर"अपराधियों'बलात्कारियों' की तीसरी पीढ़ी सवार हो चुकी है। 

"लोकतंत्र की ओर मोड़।एक ऐसा टिप्स देता हूं जिससे भारत पृथ्वी का 'शांति देश" एवं "स्वर्ग" वन जाएगा।

★"विधायिका की सदस्यता"एक बार। विधायिका में प्रवेश की न्यूनतम उम्र 35 वर्ष अधिकतम 70 वर्ष। चुनाव लड़ने के लिए 10 वर्ष तक खेती या मजदूरी का काम अनिवार्य तथा पीपल नीम आम महुआ जामुन पांच मेडिसिनल पेड़ो में से कोई दो पेड़ लगाया हो जो 10 वर्ष का हो गया हो। इससे लोकतंत्र स्थापित होगा दूसरे लोगों को विधायिका में पहुंचने का मौका मिलेगा। सांप्रदायिकता मिट जाएगी। गिरोहबंद दल एवं उसके दलाल समाप्त हो जाएंगे। लोकतंत्र खड़ा होगा। अनार्की आर्बिट्रेरी समाप्त हो जाएगी कोई बेरोजगार गरीब न होगा। संप्रदायिकता मिट जाएगी जातिवाद झुरमुट में छिप जाएगा 80 करोड़ खैरात पर जीने वाले वेघर लोग एवं अरबों की हवेलियों में रहने वाले लोगों के बीच का भेद नष्ट हो जाएगा।
★समान'एवं निशुल्क':----शिक्षा' चिकित्सा' संचार'
★कृषि योग्य जमीन का:--- समान वितरण मालिकाना हक स्त्रियों के नाम
    इससे बेरोजगारी गरीबी विषमता मिट जाएगी।
★ संसाधन' संपत्ति' का ;--  समान वितरण 
     गरीबी विषमता समाप्त हो जाएगी। कोई कुपोषित नहीं होगा।
★प्राइवेट संसाधन' एवं संपत्ति' का राष्ट्रीकृत करेँ।
★रिलिजियस ट्रस्ट" सरकारी संपत्ति घोषित कर दी जाए।मंदिर मस्जिदों को चिकित्सालय विद्यालय एवं वृद्धालय में बदल दिया जाए। वृद्ध पुजारियों के जीवन की सुरक्षा दें।  मंदिरों मस्जिदों में बलात्कारी क्रिमिनल आतंकवादी रखते हैं इसलिए इनके ऊपर क्रिमिनल केस दर्ज किया जाए।।
प्रतिलिपि:--- उपराष्ट्रपति" स्पीकर" कानून मंत्री" बीसीआई

संपूर्णानंद मल्ल           सत्यपथ" ps शाहपुर गोरखपुर
पीएचडी इन हिस्ट्री दिल्ली यूनिवर्सिटी
9415418263, 9415282102
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