हाँ मैं शूद्र हूँ। देश के कोने-कोने में फ़ैले दलित व पिछड़ों की वर्तमान पहचान वाले क्या आप भी शूद्र हैं? हाँ या नही? ज्ञात करना चाहिए। मनुस्मृति यही कहती है सिर्फ चार वर्णों में ही समस्त हिन्दूओं का सामाजिक विभाजन किया गया है। यदि आप ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य नहीं तो आख़िर क्या हैं?
अभी तो हमने सिर्फ शूद्र कहा है तभी आप तिलमिला गये! आप की पहचान यहीं नही रूकती। आपके पूर्वज राक्षस थे। राक्षसों की औलादें राक्षस ही होती हैं। विश्वास नही आ रहा है न! हर हिन्दू के घर में जन्म-पत्री मिल जाएगी। खासतौर से उनके यहाँ जो अपने आप को ज्ञानवान और संभ्रांत समझते हैं।
विनम्रता पूर्वक एक बार उसका अवलोकन करें। वहां वर्ण: शूद्र और गण: राक्षस लिखा होगा। आपके जन्म-पत्री पर जो आपकी पहचान गोदी गई है ,मेरा रत्तीभर भी हाथ नही है। यह कारनामा उसका है जिसे आपने पुरोहित माना है। उसने बताई है आपकी औकात। जितनी शीघ्रता से आप सब अपनी औकात पहचान लें भविष्य सुधारने में उतनी ही जल्दी से तैयार हो सकते हैं।
असल मसला यह है कि आख़िर कब तक 97% लोगों पर 3% फरेबियों की सत्ता क़ायम रहेगी। कब तक 5% क्षत्रिय 5%वैश्य और 70% शूद्र इनका गुलाम रहेगा। इनके तलवे चाटेगा? अधीनता स्वीकार करेगा? कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका व मीडिया के पक्षपाती पहलू को बर्दाश्त करेगा?अल्पसंख्यक जिन्हें यह म्लेच्छ कहते हैं उनकी चर्चा बाद में।
शूद्र को जातियों में बांटने का घिनौना खेल क्यों खेला गया? क्योंकि शूद्र संबोधन, शूद्रों में नफ़रत पैदा करता था। यह नफ़रत ब्राह्मणवाद के खेल को बिगाड़ सकता था। ब्राह्मणवाद के गंदे और असहनीय खेल के खिलाफ़ विद्रोह न हो जाए इसलिए एकीकृत शूद्र को खंड-खंड जातियों में बांट कर विद्रोह की अग्नि को धधकने से रोकने का षडयंत्र किया गया है। अग्नि को राख से ढ़कने का कुचक्र किया गया है। जाने छाने फ़िर माने।
हमारा सारा लक्ष्य *शूद्र सत्ता* स्थापित करना है जहाँ सभी का आनुपातिक प्रतिनिधित्व होगा। साम्प्रदायिक कार्यपालिका, जातिवादी विधायिका, नस्लवादी न्यायपालिका, पाखंड वादी मीडिया के स्थान पर सामुदायिक कार्यपालिका, समन्वयन वादी विधायिका, न्यायिक चरित्र की न्यायपालिका और उत्तर, पूर्व, पश्चिम और दक्षिण देश के प्रत्येक कोनों की खबरें दिखाने वाला मीडिया होगा। मिथ्याभाषण व बरगलाने वाले मीडिया के लाईसेन्स निरस्त होंगे। अनुज्ञापत्र नही दर्शक आधारित मीडिया प्रचलन में होगा।
जिन्हें शूद्र सत्ता चाहिए कृ टिप्पणी बाॅक्स में मैं भी शूद्र लिखें।
*शूद्र गौतम राणे सागर*
राष्ट्रीय संयोजक,
संविधान संरक्षण मंच ।
2 टिप्पणियाँ
Jai bhim jai moolnivasi, jai vigyan jai sambidhan obc sc St bharat ke moolnivasi hai inko 6743 jation me bata gya hai ye sab ek hi priwar hai inka d. N.a ek hai
जवाब देंहटाएंSoodr
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